- झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम 2000 में होगा संशोधन, मॉनसून सत्र में आएगा संशोधन का प्रस्ताव
- उच्च शिक्षा विभाग बना रहा संशोधन का प्रस्ताव, विश्वविद्यालय को यूनिट मानने से नियुक्ति में आरक्षित वर्ग को फायदा
Nitesh Ojha
Ranchi: झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में अब विभागवार नियुक्ति प्रक्रिया बंद हो जाएगी. नियुक्ति विश्वविद्यालय के स्तर पर की जाएगी. इसके लिए विश्वविद्यालय को एक यूनिट (यूनिवर्सिटी एस ए यूनिट) माना जाएगा. इसके लिए झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम – 2001 में संशोधन किया जाएगा. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. इस प्रस्ताव को मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा. अधिनियम में संशोधन का उद्देश्य नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर नियमावली का पालन सुनिश्चित कराना है.
इसे पढ़ें-रांची: सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान, सीट बेल्ट-हेलमेट सुरक्षा का है कवच
समझें रोस्टर है क्या
रोस्टर दरअसल एक तरीका होता है जिसमें तय होता है कि किसी विभाग में निकलने वाली नियुक्ति किस वर्ग (आरक्षित या अनारक्षित) को मिलेगी. अभी तक विभाग को एक यूनिट माना जाता है. यानी इस व्यवस्था के तहत शिक्षकों के कुल पदों की गणना विश्वविद्यालय या कॉलेज के अनुसार न करके विभाग या विषय के हिसाब से की जाती है. विभागीय नियुक्ति में आरक्षण नियम का पालन नहीं हो पाता था. जैसे-अगर इतिहास विषय में 4 सीट खाली हैं, तो उसमें से पहली के तीन सीट सामान्य वर्ग के लिए होगी. जबकि चौथी सीट ओबीसी या आरक्षित वर्ग के लिए. इससे आरक्षित वर्गों को आरक्षण का फायदा नहीं मिल पाता था.
इसे भी पढ़ें-डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली के पोस्टर विवाद में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की इंट्री, कहा, मुझे इसे लेकर कोई परेशानी नहीं
विश्वविद्यालय को यूनिट मानने से आरक्षण का होगा पालन
अब विश्वविद्यालय को एक यूनिट माना जाएगा. इस प्रक्रिया से नियुक्ति होने से आरक्षण का सही तरीके से पालन होगा. इस नियम में किसी श्रेणी विशेष के सभी पदों को मिलाकर आरक्षण कोटे का आकलन किया जाता है. इससे आरक्षित वर्ग (एससी, एसटी और ओबीसी) के लिए वैंकेंसी आएगी. विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानने से हर वर्ग के उम्मीदवार की भागदारी सुनिश्चित हो पाएगी.
Leave a Reply