Ranchi : कोरोना महामारी के दौरान सदर अस्पताल में जी अलर्ट आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से 320 लोगों को काम पर रखा गया था. इनमें एएनएम/जीएनएम, वार्ड अटेंडेंट, सफाईकर्मी ट्रॉलीमैन, बॉडी कैरी करने वाले लोग थे. महामारी के दौरान इन्होंने बखूबी अपने ड्यूटी का पालन किया. कोरोना के मरीजों की सेवा की. लेकिन आउटसोर्सिंग एजेंसी के उदासीनता का यह परिणाम है कि पिछले 3 महीने से इन्हें वेतन का भुगतान नहीं किया गया है. इससे नाराज सभी कर्मियों ने आज सीएस कार्यालय में अपना रोष जाहिर करते हुए काम बाधित किया है.
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फिजिकल वेरीफिकेशन के नाम पर रोक गया वेतन
जी अलर्ट आउटसोर्सिंग एजेंसी के सुपरवाइजर अजीत कुमार ने कहा कि जब अस्पताल में मरीजों की संख्या कम हुई, तब फिजिकल वेरिफिकेशन के नाम पर बकाया वेतन के भुगतान को रोक दिया गया है. उन्होंने कहा कि जब लोगों को काम पर रखा जा रहा था उस वक्त वेरिफिकेशन क्यों नहीं किया गया.
नहीं मिला वेतन अब स्थिति दयनीय
वहीं वार्ड ब्वॉय के रूप में काम कर रहे अनिल गुप्ता ने कहा कि कोरोना काल के दौरान अपनी ड्यूटी करने के बाद भी हमारे मेहनत के पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि परिवार की स्थिति अब दयनीय होती जा रही है. परिचितों से कर्ज लेकर किसी तरह घर का खर्चा चल रहा है.
महामारी में किया काम अब देखने वाला कोई नहीं
वहीं ट्रॉली मैन के रूप में काम कर रहे हैं सैयद सद्दाम हुसैन ने कहा कि पिछले तीन महीने से बकाया वेतन नहीं मिलने से स्थिति दयनीय होती जा रही है. अपने परिचितों से कर्ज लेकर घर चला रहे हैं. महामारी में मेहनत करने का यह नतीजा हुआ कि अब हमें लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्री के आप्त सचिव के पहचान के लोगों को मिला था काम का जिम्मा
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आप्त सचिव के परिचित को सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग पर मैन पावर की सप्लाई का जिम्मा दिया गया था. बताया यह भी जा रहा है कि कमीशन के खेल के कारण ही 320 कर्मियों के पैसे की भुगतान को रोका गया है.
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