Ranchi: लगातार न्यूज नेटवर्क जनसरोकार से जुड़ी खबरों को लगातार आपके सामने ला रहा है. जिसे जनता के साथ अब जनप्रतिनिधि भी स्वीकारने लगे हैं. लगातार की दो खबरों को लेकर विधानसभा में सवाल किया गया. सवाल गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार और पूर्णिमा नीरज सिंह ने किया है. बजट सत्र के दूसरे दिन अल्पसूचित प्रश्न के जरिए दोनों विधायकों ने सवाल किया. जानते हैं उन दोनों खबरों को जिनपर विधानसभा में सवाल उठे.
जेपीएससी में उम्र सीमा की गणना को लेकर सवाल
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गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार ने जेपीएससी में उम्र सीमा को लेकर सवाल किया. लगातार. इन ने 15 फरवरी को यह खबर प्रमुखता से पब्लिश की थी. शीर्षक था “JPSC परीक्षा– उम्र की गणना 2016 से कर 3 लाख उम्मीदवारों का हक मारा सरकार ने”. विधायक सुदिव्य कुमार ने प्रश्न पूछा कि क्या यह बात सही है कि झारखंड लोक सेवा आयोग सातवीं आठवीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा का विज्ञापन में उम्र सीमा की गणना 1 अगस्त 2011 रखी गई थी. जिसे वापस ले लिया गया है. सरकार की तरफ से इस सवाल को किया गया. विधायक सुदिव्य कुमार ने फिर से पूछा कि क्या यह बात सही है कि पुनः प्रकाशित विज्ञापन में अधिकतम उम्र की सीमा की गणना 1 अगस्त 2016 रखकर विज्ञापन प्रकाशित किया गया है.
इस सवाल को भी सरकार ने स्वीकार किया. तीसरा सवाल सुदिव्य कुमार ने यह किया कि कि क्या यह बात सही है कि उम्र सीमा में 5 साल का अंतराल रखने के कारण राज्य के लाखों छात्र वर्णित परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे. इस सवाल का सीधा जवाब ना देते हुए सरकार की तरफ से कहा गया कि जेपीएससी की संयुक्त सैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा 2016 में अधिकतम आयु सीमा की गणना कटऑफ तिथि 1 अगस्त 2010 निर्धारित की गई थी. 8 जनवरी 2021 को नवगठित झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन रूल 2021 के प्रावधानों के आलोक में झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा प्रत्येक वर्ष परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है. इस साल 2016 की परीक्षा के विज्ञापन प्रकाशन से लेकर परीक्षाफल प्रकाशन में चार सालों से अधिक का समय लग जाने के कारण साल 2017, 2018, 2019 और 2020 तक की परीक्षाओं के लिए अभ्यर्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार की तरफ से अधिकतम उम्र सीमा की गणना के लिए 5 फरवरी 2021 को कटऑफ तिथि, 1 अगस्त 2016 करने का निर्णय लिया गया.
झारखंड लोक सेवा आयोग की तरफ से संयुक्त सैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के लिए 252 पदों के लिए विज्ञापन 8 फरवरी 2021 को निकाला गया है. आखिरी और अपने चौथे सवाल में विधायक सुधीर कुमार ने पूछा कि अगर यह सब बात सही है तो क्या राज्य सरकार उम्र सीमा में बदलाव करेगी. जिसके जवाब में राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि ऐसा कोई प्रस्ताव फिलहाल विचाराधीन नहीं है.
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पूर्णिमा सिंह ने पूछा आखिर क्यों सिद्धार्थ त्रिपाठी बने हुए हैं मनरेगा आयुक्त
झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने सरकार से पूछा कि आखिर कैसे सिद्धार्ठ त्रिपाठी 2015 से ही मनरेगा आयुक्त बने हुए हैं. इस खबर को भी लगातार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था. 16 फरवरी को लगातार.इन ने “3 महीने से ज्यादा नहीं रह सकते पर 5 सालों से मनरेगा आयुक्त के पद पर जमे हैं IFS सिद्धार्थ त्रिपाठी” शीर्षक खबर छापी थी.
इसी खबर को लेकर विधानसभा के अल्पसूचित प्रश्न में पूर्णिमा नीरज सिंह ने सरकार से सवाल किया है कि क्या यह बात सही है कि आईएफएस सिद्धार्थ त्रिपाठी 2015 से मनरेगा आयुक्त के पद पर पदस्थापित हैं. पूछा गया कि जबकि सरकार उस पद पर दो साल से अधिक समय तक पदास्थापन का नियम नहीं है. इस सवाल का जवाब सरकार की तरफ से सीधा ना देते हुए आंशिक रूप से स्वीकारात्मक किया गया. कहा गया कि विभागीय अदिसूचना के आधार पर सिद्धार्थ त्रिपाठी को दो फरवरी 2015 में मनरेगा आयुक्त बनाया गया है.
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने तीन जनवरी 2007 को राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना आयुक्त का पद सृजित किया था. इस पद पर विशेष सचिव स्तर के अधिकारी पदस्थापित हो सकते हैं. लेकिन सरकार की तरफ से सवाल के जवाब में यह नहीं बताया गया कि मनरेगा आयुक्त का पद आईएएस कैडर का है. जिसपर एक आईएफएस पिछले पांच सालों से काबिज हैं. जबकि सिर्फ तीन महीना ही किसी आईएएस के पद पर कोई आईएफएस रह सकता है. यह नियम केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय का है. जिसे राज्य सरकार नहीं मान रही है. इस मामले में गलत तथ्य पेश किया जा रहा है.