LagatarDesk : भारत में कोरोना महामारी तेजी से फैल रहा है. कई राज्यों में नाइट कर्फ्यू भी लगा दिया गया है. कोरोना काल में बेरोजगारी बढ़ गया है. लोगों की आमदनी घट गयी है. ऐसे में खाने के समान महंगे हो गये हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर होने के कारण कीमतें बहुत बढ़ गयी है. इसका सीधा असर घरेलू उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है. इससे आम लोगों पर महंगाई का एक और बोझ बढ़ गया है. महंगाई के बढ़ने से आमजनता का किचन का बजट बिगड़ रहा है. सरसों तेल, रिफाइंड तेल और अन्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. खाद्य तेल बाजार के जानकारों के मुताबिक, कीमतों में 30-70 फीसदी तक की वृद्धि हुई है.
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सरसों तेल के दाम में 30 फीसदी का इजाफा
रांची में सरसों तेल की कीमत 170 रुपये हो गया है. 15 दिन पहले सरसों तेल करीब 130 रुपये प्रति लीटर बिक रहा था. 14 से 15 दिनों में सरसों तेल के दाम में 40 रुपये की बढ़ोतरी हुई है. सरसों तेल की कीमतों में करीब 30 फीसदी का इजाफा हुआ है.
रिफाइंड तेल भी 35 फीसदी महंगा
रिफाइंड ऑयल की कीमतों में इजाफा हुआ है. रिफाइंड ऑयल रांची में करीब 160 रुपये बिक रहा है. कुछ दिन पहले यह 120 रुपये बिक रहा था. रिफाइंड तेल की कीमतों में भी लगभग 40 रुपये का इजाफा हुआ है. रिफाइंड तेल के दाम में लगभग 35 फीसदी का इजाफा हुआ है.
सालभर में करीब 25 फीसदी बढ़े खाद्य तेल के दाम
पिछले साल से लेकर अब तक खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 25 फीसदी महंगी हुई है. सरकारी रिकार्ड के मुताबिक, 12 अप्रैल के बाद palm oil को छोड़कर लगभग सभी खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गयी है. यहां तक कि मूंगफली तेल के दाम भी बढ़े हैं. मूंगफली तेल के दामों में पिछले तीन महीनें से स्थिर थे.
तीन माह में बढ़ें खाने के तेलों के दाम
खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय पर दी गयी जानकारी के मुताबिक, सरसों तेल के दामों में पिछले तीन माह में बढ़ोतरी हुई है. राजधानी दिल्ली में 31 जनवरी को सरसों तेल का रिटेल प्राइस 186 रुपये था. वहीं 28 फरवरी को सरसों तेल के दाम 188 रुपये और 31 मार्च को 200 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. वहीं सोया तेल जनवरी में 142 रुपये, फरवरी में 177 और मार्च में 160 रुपये के भाव से बिका है.
भारत में 70 फीसदी तेल होता है आयात
देश में खाद्य तेलों की कुल खपत का 70 फीसदी आयात से पूरा होता है. भारत को सालाना 1.50 करोड़ टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है. इसमें 73 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत आती है. भारत में खाद्य तेलों की कुल खपत 2.60 करोड़ टन है.