NewDelhi : उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियल फटने के चौथे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. अभी तक 32 शव मिले हैं. जबकि 197 लोग लापता हैं. एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना में सुरंग के अंदर बचाव कार्य जारी है, 25-35 लोग 2.5 किलोमीटर लंबी ‘हेड्रेस टनल’ (HRT) के अंदर फंसे हुए हैं.
#WATCH | The rescue operation at the 2.5 km long Tapovan tunnel in Chamoli district of Uttarakhand continued on Tuesday night; teams worked to remove slush and debris in the tunnel. Around 30 people are feared trapped in the tunnel
(source: SDRF) pic.twitter.com/huubhDUGI2
— ANI (@ANI) February 10, 2021
तपोवन सुरंग में जलस्तर बढ़ने से रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है. एक अधिकारी ने कहा कि सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए विशेष उपकरण का इस्तेमाल किया जा रहा है. हालांकि अधिकारियों को उम्मीद है कि सुरंग के अंदर कुछ लोग जिंदा होंगे, लेकिन अभी तक उनका किसी से संपर्क नहीं हो पाया है.
ड्रिल में Garhwal Scouts mount mission की टीम जुटी हुई है. ड्रोन-लेजर इमेजिंग की मदद ली जा रही है. अभी तक रेस्क्यू टीम 130 मीटर तक अंदर जा पायी है, अभी 50 मीटर बाकी है.
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राहत कार्य में लगी है 600 जवानों की टीम
राहत कार्य में 600 जवानों की टीम लगी हुई है . बता दें कि भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के 600 से अधिक जवानों को खोज और बचाव कार्य के लिए चमोली में तैनात किया गया है.
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाढ़ के परिणामस्वरूप कटे हुए दूरदराज के गांवों में राशन, दवा और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने के लिए आईटीबीपी के जवानों को शुक्रिया कहा है. उत्तराखंड के रेनी पल्ली, पांग, लता, सुरैतोता, सूकी, भालगांव, तोलमा, फगरासु, लॉन्ग सेगड़ी, गहर, भानग्युल, जुवागवाड और जुग्गू आदि गांवों में सड़क संपर्क पर प्रभाव पड़ा है.
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भूस्खलन की वजह से स्नो एवलॉच की स्थिति बनी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बताया था कि अभी यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि मलबा हटाने में कितना समय लगेगा, क्योंकि सुरंग में 90 डिग्री का मोड़ है. गृह मंत्री ने बताया था कि 7 फरवरी के सैटेलाइट डेटा से पता चलता है कि भूस्खलन की वजह से स्नो एवलॉच की स्थिति बनी, जो ऋषि गंगा नदी से 5,600 मीटर की ऊंचाई पर था. हिमस्खलन ने लगभग 14 वर्ग मीटर क्षेत्र को कवर किया था.
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