- भारत की जनसंख्या वर्तमान में 1.40 अरब, प्रजनन दर 2 से ऊपर
- चीन की जनसंख्या 1.44 अरब है, प्रजनन दर 1.7
- दुनिया की आबादी नवंबर 2022 तक आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान
New Delhi : भारत अगले साल चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जायेगा. विश्व जनसंख्या दिवस पर संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की आबादी नवंबर 2022 के मध्य तक आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है. यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड के आकड़ों के मुताबिक, भारत की जनसंख्या वर्तमान में 1.40 अरब के करीब है. वहीं, चीन की जनसंख्या 1.44 अरब है. अनुमान के मुताबिक साल 2023 तक भारत चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा. ऐसा इसलिए है कि वर्तमान में चीन की प्रजनन दर 1.7 है. वहीं, इसके मुकाबले भारत में प्रजनन दर अब भी 2 से ऊपर है.
अभी कितनी है दुनिया की जनसंख्या
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड के मुताबिक वर्तमान में दुनिया में इंसानों की कुल आबादी करीब 7.95 अरब है. कुछ ही महीने में यह 8 अरब के आंकड़े को पार कर जाएगी. दुनिया की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा एशिया में निवास करता है. दुनिया के करीब 60 फीसदी लोग इसी महाद्वीप में हैं. दुनिया के सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश चीन और भारत हैं.
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क्या है बढ़ती जनसंख्या के कारण?
बढ़ती जनसंख्या का सबसे मुख्य कारण प्रजनन दर में बढ़ोतरी और मृत्यु दर में कमी को कहा जा सकता है. अगर बात वर्ष 1900 की करें तो उस वक्त दुनिया की आबादी 2 अरब से कम थी. इसके मुकाबले 122 वर्षों में ही आबादी 4 गुणा अधिक हो गई है. वर्तमान की पीढ़ी को इतिहास से सबसे बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं आदि उपलब्ध हो रही हैं. दुनिया में प्रजनन दर पहले के मुकाबले भले ही कम हुई हो लेकिन अब भी कई देशों में ये काफी ज्यादा है. इसका कारण शिक्षा और जागरूकता की कमी है.
जनसंख्या समस्या है या समाधान?
विभिन्न देशों में जनसंख्या के अपने-अपने मायने हैं. कम जनसंख्या वाले देशों में आपको सुख-सुविधाएं और विकास ज्यादा देखने को मिलता है. वहीं, भारत और चीन जैसी बड़ी जनसंख्या वाले देश अब भी विकासशील बने हुए हैं. एक तरफ चीन, रूस और कई अन्य देश अब प्रजनन दर को बढ़ावा दे रहे हैं तो वहीं भारत में संसाधनों की कमी और जनसंख्या की बहुलता को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है. अधिक आबादी को सही दिशा देकर देश का विकास तो किया जा सकता है लेकिन पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता.
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