LagatarDesk: प्रोफेसर अरुण कुमार भारत के जानेमाने अर्थशास्त्रियों में से एक हैं. अरुण कुमार ने द पब्लिक इंडिया से बातचीत के दौरान कहा कि इंडिया की आर्थिक स्थिति युद्ध से भी बद्दतर है. इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है. कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा था, जिसके कारण देश में संपूर्ण लॉकडाउन किया गया. लॉकडाउन होने के कारण गरीबों की नौकरी चली गयी. लोग बेरोजगार हो गये और भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी.
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लॉकडाउन में भारत के लोगों की रोजगार छीनी
कुमार ने बताया कि लॉकडाउन देश के लिए चौथा सबसे बड़ा निर्णय था, इससे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण 20 करोड़ लोग काम पर नहीं जा सकें.
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भारत की अर्थव्यवस्था के आधार पर दो क्षेत्र
देश में अर्थव्यवस्था के आधार पर दो क्षेत्र होते हैं. पहला संगठित और दूसरा असंगठित क्षेत्र. संगठित क्षेत्र (Organized) ऐसे सेक्टर हैं जो सरकार के साथ पंजीकृत है और यहां रोजगार की शर्ते निश्चित और नियमित होती है. असंगठित क्षेत्र (Un Organized) वैसे सेक्टर है जो सरकार के साथ पंजीकृत नहीं होते. इस सेक्टर में रोजगार की शर्तें तय नहीं होती. इस सेक्टर में किसी भी सरकारी नियम-कानून का पालन नहीं किया जाता है.
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लॉकडाउन में 1.9 करोड़ लोगों की छीन गयी नौकरियां
42 करोड़ वर्कफोर्स असंगठित क्षेत्र के हैं, जिसमें से 20 करोड़ लोगों के पास रोजगार नहीं है. इसके साथ ही लॉकडाउन में 1.9 करोड़ लोगों की नौकरी छीन गयी. 3 करोड़ वर्कफोर्स संगठित क्षेत्र के हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 50 लाख प्रोफेशनल की नौकरी लॉकडाउन में चली गयी.
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GDP के आंकड़े में असंगठित क्षेत्र आता ही नहीं
प्रोफेसर अरुण ने एक बड़ा खुलासा किया कि GDP के आंकड़ें में असंगठित क्षेत्र आता ही नहीं है. मान लिया जाता है कि जिस तरह संगठित क्षेत्र चलता है, उसी प्रकार असंगठित क्षेत्र भी चल रहा. उन्होंने बतायी कि संगठित क्षेत्र को भी पूरा नहीं लिया जाता है. 300 से 400 बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों या फिर रेलवे के आधार पर ही जीडीपी तय कर लिया जाता है.
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Q1 में 75 और Q2 में 50 फीसदी की थी गिरावट
उन्होंने बड़ा खुलासा भी किया कि जब अप्रैल-मई में इंडिया की अर्थव्यवस्था 23.9 फीसदी की गिरावट आयी थी. अगर सही मायने में देखें तो 75 फीसदी की गिरावट थी. और जब Q2 में 7.5 फीसदी की गिरावट का अनुमान था, उस समय भी 50 फीसदी की गिरावट थी.
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चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 30 फीसदी की गिरावट
चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 0.1 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया गया है. लेकिन अरुण कुमार ने बताया कि इस साल कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था में 30 फीसदी की गिरावट रहेगी.
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भारत टेक्नोलॉजी के मामले में पीछे
प्रोफेसर ने बताया कि भारत टेक्नोलॉजी के मामले में पिछड़ गया है. यहां की लॉग टर्म स्ट्रेटजी सही नहीं है. देश को टेक्नोलॉजी और हाईअर एजुकेशन पर ध्यान देने की जरूरत है. वैशवीकरण के दौर से ही टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है. भारत अन्य देशों से पिछड़ जायेगा क्योकि यहां टेक्नोलॉजी पर कुछ किया नहीं गया. इसके साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर भी कुछ नहीं किया गया. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की अहम भूमिका होती है.
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2020 में 28 से 30 फीसदी कम हुआ Investment
सरकार को स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. इनवेसटमेंट में भी सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. सरकार को Investment पर खर्च करना चाहिए. आंकड़ों के अनुसार, 2012 में बजट का 36 फीसदी ही Investment में खर्च होता था. जो 2020 में 28 से 30 फीसदी हो गया है. जब Investment ही नहीं होगा तो प्रोडक्टिविटी ग्रोथ कैसे होगा. ग्रोथ ही नहीं रहेगी तो रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर खर्च कैसे होगा.
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Investment का अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा पॉजिटिव असर
Investment करने से भारत की अर्थव्यवस्था पर पॉजिटिव असर पड़ेगा. इनवेसटमेंट बढ़ेगा तो रोजगार भी बढ़ेगा और जब रोजगार बढ़ेगा तो लोगों की आय बढ़ेगी. आय बढ़ेगा तो खपत बढ़ेगी और खपत के बढ़ने से भारत का ग्रोथ होगा
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