Surjit Singh
देश के गृह मंत्री अमित शाह 27 दिसंबर को मणिपुर के इंफाल में थे. उन्होंने वहां कई परियोजनाओं का उदघाटन किया और लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कहाः इनर लाइन परमिट पीएम मोदी का मणिपुर के लोगों के लिए सबसे बड़ा उपहार है.
अमित शाह ने कहाः वर्षों से इनर लाइन परमिट की मांग करते-करते मणिपुर वाले इसे भूल गए थे. वर्ष 2019 में मोदी जी ने तय किया कि मणिपुर के लोगों को इनर लाइन परमिट ना देना यहां के मूल निवासियों के साथ अन्याय है. इसलिए उन्होंने मांगे बिना इनर लाइन परमिट देने का काम किया.
अब समझिये, आखिर ये ILP है क्या ?
ILP, यानी इनर लाइन परमिट एक तरह का परमिट है. जो भारत के कुछ इलाकों में जाने के पहले हर भारतीय या विदेशी को हासिल करना जरुरी होता है. इस परमिट के बिना किसी भारतीय या विदेशी का उस इलाके में जाना गैरकानूनी व प्रतिबंधित होता है.
ILP लगाने का उद्देश्य क्या है ?
इस तरह की व्यवस्था तकरीबन दुनिया के सभी देशों में हैं. किसी खास इलाके और वहां रहने वालों की आर्थिक, भौगोलिक व सांस्कृतिक सुरक्षा के लिए जरुरी मानते हुए सरकार ILP लागू करती है.
अब यह भी जानिये, कि ILP कहां-कहां लागू है ?
मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, असम, लेह व लद्दाख समेत कई इलाकों में इनर लाइन परमिट लागू है.
ज्यादा दिन नहीं हुए कश्मीर में भी ILP लगाया गया था. जिसे अब खत्म कर दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी के नेता वर्षों के ILP को गलत बताते रहे हैं. उनका तर्क है कि ILP एक तरह का वीजा है. अपने देश में ही जाने के लिये वीजा की तरह परमिट बनाना, एक राष्ट्र की दृष्टि से सही नहीं है.
अमित शाह के बयान से जो सहमति बनती है, वह यह कि जो ILP कश्मीर में देशद्रोह जैसा है, वही ILP असम व पूर्वोत्तर के राज्यों में देशप्रेम व वहां रहने वालों के लिये उपहार जैसा है.