saurav singh
Ranchi : DIG रैंक के IPS अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए अब केंद्र में इम्पैनल होने की आवश्यकता नहीं है. गृह मंत्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा जारी आदेश में यह बात कही गयी है. आदेश में कहा गया है कि डीआईजी रैंक पर केंद्र में आने वाले आईपीएस अधिकारियों को अब केंद्र सरकार के साथ उस स्तर पर पैनल में शामिल होने की आवश्यकता नहीं होगी.
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क्या था पुराना नियम
पिछले नियमों के अनुसार,14 साल सर्विस में सेवा दे चुके डीआईजी रैंक के आईपीएस अधिकारी को ही केंद्र में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है,जब केंद्रीय गृह सचिव के नेतृत्व वाले पुलिस स्थापना बोर्ड ने उन्हें केंद्र में डीआईजी के रूप में इम्पैनल किया हो. बोर्ड अधिकारियों के करियर और सतर्कता रिकॉर्ड के आधार पर पैनल का चयन करता था. वर्तमान में केवल एसपी रैंक के अधिकारियों को केंद्र में पैनल में शामिल करने की आवश्यकता नहीं है. नया आदेश राज्य में पदस्थापित डीआईजी रैंक के अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के योग्य बनाता है.
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गृह मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है
यह नियम बनाने का मुख्य उद्देश्य है केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में भारी संख्या में खाली पड़े पदों के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए डीआईजी रैंक के आईपीएस अधिकारियों के संख्या को बढ़ाना है. कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने मौजूदा आईपीएस कार्यकाल नीति में तत्काल प्रभाव से डीआईजी के स्तर पर पैनल को हटाने और संबंधित निर्धारित संशोधनों को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
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अधिकांश राज्य अपने अधिकारियों को नहीं छोड़ते हैं
विभिन्न सीपीओ और सीएपीएफ से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार केंद्र में डीआईजी स्तर पर आईपीएस अधिकारियों के लिए आरक्षित 252 पदों में से 118 (लगभग आधे) खाली हैं. आईपीएस अधिकारियों का सीपीओ और सीएपीएफ में 40% का कोटा होता है. केंद्र ने नवंबर 2019 में राज्यों को इस कोटा को 50% तक कम करने का प्रस्ताव देते हुए लिखा था कि 60% से अधिक पद खाली हैं क्योंकि अधिकांश राज्य अपने अधिकारियों को नहीं छोड़ते हैं.
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जानिए यह नियम कैसे मदद करेगा
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की प्रक्रिया को आसान बनाने का विचार है क्योंकि कागजात के सत्यापन में लंबा समय लगता है. डीआईजी की संख्या अधिक है, इसलिए पैनल बनाने की प्रक्रिया बोझिल हो गई थी और इस प्रक्रिया को पूरा करने में एक साल तक का समय लग रहा था. साथ ही यह केंद्र के लिए उपलब्ध अधिकारियों के पुल के आकार को बढ़ाता है. हालांकि यह स्वतः ही डीआईजी को केंद्र में आने की अनुमति नहीं देगा. अधिकारियों को अभी भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए प्रस्ताव सूची में रखना होगा जो राज्यों और केंद्र द्वारा परामर्श से तय किया जाता है. साथ ही राज्यों को उन्हें राहत देने के लिए तैयार रहना होगा.
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