Ranchi : देश के कई राज्यों में पिछले कुछ माह से राजभवन और सरकार के बीच विवाद देखा जा रहा है. कई राज्यों में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच विवाद की वजह से संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. वैसे तो विवाद बढ़ने के कई कारण हैं. पर इसमें सबसे प्रमुख कारण केंद्र के निर्देश पर कार्य कर रहे राज्यपाल का गैर – भाजपा शासित राज्यों के कामों पर आपत्ति दर्ज कराना रहा है. इसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र सहित झाऱखंड जैसे गैर-भाजपा शासित राज्य शामिल हैं. झारखंड में तकरार बढ़ने का कारण राज्य सरकार द्वारा पिछले शीतकालीन सत्र में पारित विधेयकों पर आपत्ति दर्ज कराकर वापस लौटाने से जोड़ कर देखा गया है.
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द्रौपद्री मुर्मू के वक्त भी हुआ विवाद, पर इस बार चरम पर
राजभवन से विधेयकों के लौटाने वाली स्थिति भाजपा शासित रघुवर सरकार और तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समय भी देखी गयी थी. जून 2017 में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए लौटाया था. लेकिन इस बार सामने गैर भाजपा शासित राज्य झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं. पिछले कुछ माह में राज्यपाल रमेश बैस ने सरकार द्वारा पारित तीन विधेयकों को वापस पुनर्विचार के लिए लौटा दिया है. राज्यपाल रमेश बैस ने जिन तीन विधेयकों पर आपत्ति जताते हुए वापस लौटाया है, उसमें ‘भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) निवारण विधेयक’, ‘पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक’ और ‘झारखंड वित्त विधेयक; शामिल हैं.
भीड़ शब्द से आपत्ति जताते हुए लौटाया (मॉब लिंचिंग) निवारण विधेयक
‘भीड़’ शब्द को सही तरीके से परिभाषित करने का निर्देश देते हुए राज्यपाल ने बीते 17 मार्च को भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) निवारण विधेयक को राज्य सरकार को वापस कर दिया था. विधेयक में हिंदी और इंग्लिश के प्रारूप में अंतर की ओर भी राज्यपाल ने सरकार का ध्यान देने की बात की थी. बता दें कि भाजपा नेताओं ने भी राज्यपाल से मिलकर हेमंत सरकार के लाये इस विधेयक पर ‘भीड़’ शब्द पर अपनी आपत्ति दर्ज करायी थी. विधेयक में दो लोगों के द्वारा किसी घटना को अंजाम देने को भीड़ शब्द से परिभाषित किया गया था.
जनजातीय विवि विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी कॉपी में काफी अंतर, इसलिए लौटाया
इसी तरह 23 मार्च को राज्यपाल रमेश बैस ने पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 को त्रुटि बताते हुए वापस कर दिया था. राज्यपाल का कहना था कि विधेयक की भेजी गयी हिंदी के कॉपी में जो प्रावधान है. वह अंग्रेजी के कॉपी से अलग है. यह विधेयक पिछले साल 23 दिसंबर को विधानसभा से पारित हुआ था.
वित्त विधेयक 2021 में कई भाषायी त्रुटियां, सुधार कर दोबारा भेजने पर राज्यपाल ने जतायी थी आपत्ति
इसी तरह राजभवन ने पिछले दिनों 5 अप्रैल को विधानसभा से पारित वित्त विधेयक 2021 को वापस लौटा दिया है.
पिछले शीतकालीन सत्र में पारित यह विधेयक भारतीय मुद्रांक शुल्क अधिनियम 1948 में संशोधन के लिए लाया गया था. जब विधेयक को राज्यपाल की स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा गया, तो उसमें कई भाषायी त्रुटियां मिलीं. जिसके बाद उस विधेयक को वापस भेजा दिया गया था. राज्य सरकार ने दोबारा विधेयक को बिना विधानसभा से पारित कराए त्रुटियों में सुधार व संशोधनों के साथ विधेयक राजभवन को भेज दिया था. राज्यपाल ने इस पर आपत्ति जतायी और इसे दोबारा विधानसभा से संशोधन के साथ पारित कराते हुए राजभवन को भेजने का निर्देश दिया.
मॉनसून सत्र से ही पारित कराने होंगे सभी विधेयक
उपरोक्त तीनों विधेयकों को वापस लौटाने के बाद अब झारखंड सरकार को तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को विधानसभा से दोबारा पारित कराने होंगे. तीनों विधेयक मॉनसून सत्र में ही विधानसभा के पटल पर रखे जा सकते हैं.
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