New Delhi : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 व जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और चर्चा के लिए लोकसभा में पेश किया. विधेयक पर लंबी बहस के बाद आज विधेयक लोकसभा में पास हो गया अमित शाह ने चर्चा का जवाब देते हुए आज कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल के दौरान हुए दो बड़े ब्लंडर (गलतियों) का खामियाजा जम्मू-कश्मीर को वर्षों तक भुगतना पड़ा. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
VIDEO | “This Bill is another addition to the hundreds of progressive changes brought in the country by PM Modi. (The opposition) raised some legal and constitutional issues. First, they said that the law, in which the amendment has brought, itself is challenged in the court. I… pic.twitter.com/gI7zBCvKpi
— Press Trust of India (@PTI_News) December 6, 2023
VIDEO | “When they (Kashkiri Pandits) were displaced, they were forced lived as refugees in their country. Around 46,631 families were displaced in their own country. This Bill is to get them rights, this Bill is to give them representation,” says Union Home Minister while… pic.twitter.com/l9K9F2fsGA
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दोनों विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि नेहरू की दो गलतियां, 1947 में आजादी के कुछ समय बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय संघर्ष विराम करना और जम्मू-कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की थी. गृह मंत्री ने कहा कि अगर संघर्ष विराम नहीं हुआ होता तो पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) अस्तित्व में नहीं आता.
गृह मंत्री के जवाब के बाद दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गयी
नेहरू के संदर्भ में शाह की टिप्पणियों का विरोध करते हुए कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया. गृह मंत्री के जवाब के बाद इन दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से मंजूरी दी गयी.शाह ने कहा, मेरा मानना है कि इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में नहीं ले जाना चाहिए था. लेकिन अगर ले जाना था तो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर 51 के तहत ले जाना चाहिए था, लेकिन चार्टर 35 के तहत ले जाया गया. उनके अनुसार नेहरू ने खुद माना था कि यह गलती थी, लेकिन मैं मानता हूं कि यह ब्लंडर था.
शाह की टिप्पणियों का कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध किया
इस बीच बीजू जनता दल के भर्तृहरि ने कहा कि इसके लिए हिमालयन ब्लंडर का प्रयोग किया जाता है और गृह मंत्री चाहे तो इसका भी इस्तेमाल कर सकते हैं. शाह की टिप्पणियों का कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार विरोध किया. इस क्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई. शाह की टिप्पणियों का कांग्रेस के सदस्यों ने विरोध किया. बाद में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सदन से वाकआउट कर गये.
सदन में पूरे दिन चर्चा करा ली जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा
शाह के वक्तव्य से पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के मंत्री और भाजपा के कई नेता कश्मीर की बात आने पर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की अनावश्यक आलोचना करने लगते हैं और इस मुद्दे पर सदन में एक बार पूरे दिन चर्चा करा ली जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. सदन में जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा में भाग लेते हुए चौधरी ने यह बात कही, जिस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम ऐसी चर्चा के लिए तैयार हैं. शाह के अनुसार, पांच-छह अगस्त, 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करने के संबंध में जो विधेयक संसद में लाया गया था उसमें यह बात शामिल थी और इसलिए विधेयक में न्यायिक परिसीमन’की बात कही गयी है.
चौधरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ का नारा दिया था. इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि कश्मीरियत’ का नारा शेख अब्दुल्ला ने दिया था और वाजपेयी ने नहीं दिया. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने दावा किया कि 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘कश्मीरियत’ की बात कही थी. कांग्रेस नेता चौधरी ने कश्मीर की स्थिति को लेकर सरकार को आत्मावलोकन करने की सलाह दी और आरोप लगाया कि सरकार चुनाव जीतने के लिए नये-नये तरीके अपनाती रहती है.
प्रधानमंत्री मोदी 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे
अमित शाह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे और 2026 तक जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद का पूरी तरह खात्मा हो जायेगा.शाह ने कहा कि मोदी जी ऐसे नेता हैं, जो गरीब घर में जन्म लेकर देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वह पिछड़ों और गरीबों का दर्द जानते हैं. वो लोग इसे नहीं समझ सकते, जो इसका उपयोग वोटबैंक के लिए करते हैं.’ शाह ने कहा, ‘‘यह वो लोग नहीं समझ सकते हैं जो लच्छेदार भाषण देकर पिछड़ों को राजनीति में वोट हासिल करने का साधन समझते हैं. शाह ने आरोप लगाया कि पिछड़े वर्गों का सबसे बड़ा विरोध और पिछड़े वर्गों को रोकने का काम कांग्रेस ने किया है.
अनुसूचित जाति के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित
जान लें कि जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन करता है. यह अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लोगों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान करता है. वहीं, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में संशोधन करता है. प्रस्तावित विधेयक से विधानसभा सीटों की कुल संख्या बढ़कर 83 से बढकर 90 हो जाएगी. इसमें अनुसूचित जाति के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित हैं. साथ ही उपराज्यपाल कश्मीरी प्रवासी समुदाय से एक महिला सहित दो सदस्यों को विधान सभा में नामांकित कर सकते हैं.