Jamshedpur (Sunil Pandey) : बागबेड़ा एवं छोटा गोविंदपुर ग्रामीण जल आपूर्ति योजना की शुरुआत आठ वर्ष पहले 2015 में एक साथ हुई थी. गोविंदपुर जलापूर्ति योजना पूरी हो गई. स्थानीय लोगों को योजना के तहत पेयजल उपलब्ध होने लगा. लेकिन इन आठ वर्षों में बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत नल से एक बूंद जल नहीं टपका. विश्व बैंक के सहयोग से शुरु हुई योजना का 75 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है. एक वर्ष पहले उक्त महत्वाकांक्षी योजना का मामला लोकसभा में भी उठा. सरकार के स्तर से जल्द योजना शुरु करने का आश्वासन मिला. लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण एक वर्ष से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है. नई एजेंसी (प्रीति इंटरप्राइजेज) बहाल हो गई. लेकिन उसकी मोनिटरिंग नहीं होने से एजेंसी भी कछुए की गति से काम कर रही है. बताया जाता है कि अभी तक केवल सर्वे का काम ही हो पाया है. बंद पड़ी फिल्टर प्लांट एवं पाईप लाईन बिछाने का काम अभी शुरु नहीं हो पाया है.
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21 पंचायत के 113 गांवों को मिलना है पानी
बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत क्षेत्र के 21 पंचायतों के 113 गाव के लगभग 4.25 लाख लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाना है. जिसमें बागबेड़ा के 7 पंचायत, कीताडीह क्षेत्र के 4 पंचायत, घाघीडीह के 5 पंचायत, करनडीह 2 पंचायत एवं परसुडीह के 3 पंचायत शामिल है. उक्त योजना को धरातल पर उतारने के लिए बागबेड़ा महानगर विकास समिति एवं संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति के बैनर तले वर्ष 2005 से आंदोलन हो रहे हैं. इन वर्षों में करीब 427 बार जन आंदोलन किए गए. जिसके तहत धरना, प्रदर्शन, भूख हड़ताल आमरण, अनशन सैकड़ों बार उपायुक्त कार्यालय का घेराव विधानसभा का बहिष्कार, लोकसभा का बहिष्कार, पंचायत चुनाव का बहिष्कार जुस्को (अब टीएसयूआईएसएल) का घेराव आदि किए गए. आंदोलन का नतीजा यह रहा कि योजना का काम शुरु हो गया. लेकिन आठ वर्ष बाद भी योजना पूरी नहीं हो पायी
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कोर्ट पहुंचा मामला
बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना को धरातल पर उतारने के लिए बागबेड़ा महानगर विकास समिति एवं संपूर्ण घाघीडीह विकास समिति के बैनर तले आंदोलन की अगुवाई करने वाले सुबोध झा ने बताया कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं कार्य में शिथिलता के कारण योजना लटकी हुई है. उन्होंने कहा कि 21 मार्च 2022 को 21 आंदोलनकारियों ने जमशेदपुर से दिल्ली तक पदयात्रा की शुरुआत की. जिसके तहत दिल्ली पहुंचकर कर संसद भवन का घेराव करना था. लेकिन 25 मार्च 2022 को बुंडू-तमाड़ के पास विभाग के अभियंता प्रमुख ने योजना जल्द पूरा करने का लिखित आश्वासन देकर आंदोलन को स्थगित करवाया.
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लेकिन एक वर्ष बाद भी योजना सफेद हाथी साबित हो रही है. उन्होंने कहा कि समिति ने इस मामले में झारखंड हाई कोर्ट में पीआईएल दायर की है. विभागीय अधिकारियों को नोटिस निर्गत किया गया है. अब कोर्ट के अगले कदम पर योजना का भविष्य टिका है. दूसरी ओर इस संबंध में विभागीय अधिकारियों (अधीक्षण अभियंता शिविर सोरेन एवं कार्यपालक अभियंता अभय टोप्पो) का पक्ष जानने के लिए फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया. लेकिन दोनों अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया.
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