Jamshedpur (Dharmendra Kumar): कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) का मानना है कि देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्री सीधे तौर से जीएसटी कॉउंसिल द्वारा गत 28-29 जून मार्का लगे हुए खाद्यान्न, बटर, दही, लस्सी आदि को 5 प्रतिशत के कर स्लैब में लाने के लिए ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि जीएसटी काउंसिल ने यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया है. कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि इस मामले पर सभी राज्यों की अनाज, दाल मिल सहित अन्य व्यापारी संगठन अपने-अपने राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन सौंप कर इस निर्णय को वापस लेने का आग्रह करेंगे.
तत्काल राहत के रूप में इस निर्णय को अधिसूचित न किया जाए: सोंथालिया
उन्होंने कहा कि बेहद खेद की बात है कि सभी राज्यों ने जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में सर्वसम्मति से इसको पारित कर दिया. ऐसा लगता है कि किसी भी वित्त मंत्री ने इस बारे में विचार नहीं किया. इस निर्णय का वित्तीय बोझ आम लोगों पर पड़ेगा. देश में किसी भी व्यापारी संगठन से इस बारे में कोई परामर्श नहीं किया गया. देश में केवल 15 प्रतिशत आबादी ही बड़े ब्रांड का सामान उपयोग करती है. जबकि 85 प्रतिशत जनता बिना ब्रांड के मार्का वाले उत्पादों से ही जीवन चलाती है. इन वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाना एक अन्यायपूर्ण कदम है. तत्काल राहत के रूप में इस निर्णय को अधिसूचित न किया जाए.
राजनाथ सिंह से मिले कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल
इस क्रम में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की और वस्तुस्थिति से उन्हें अवगत कराते हुए आग्रह किया कि फिलहाल इस निर्णय को अमल में न लाया जाए और कोई भी अधिसूचना जारी होने से पहले संबंधित व्यापारियों से चर्चा की जाए. राजनाथ सिंह ने इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बातचीत करने का आश्वासन दिया. कैट का प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर शीघ्र ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल तथा अन्य केंद्रीय मंत्रियों से मिलेगा और उनसे इस निर्णय को स्थगित रखने का आग्रह करेगा.
इसे भी पढ़ें: जमशेदपुर: कैदी मनोज सिंह की हत्या में दूसरे दिन वीसी से हुई पांच आरोपियों की गवाही
Leave a Reply