Jamshedpur (Ratan Singh) : दिवाली खुशियों का त्योहार है. लेकिन ये अपने साथ कई सारी प्रदूषण भी लेकर आता है. इस बार दीपावली में प्रदूषण बढ़ने की संभावना है. हालांकि लोग अब काफी जागरूक हुए है और उनका रुझान ग्रीन पटाखों की तरफ ज्यादा है. ग्राहक इस बार खासकर इको फ्रेंडली ग्रीन पटाखों की मांग कर रहे हैं. इधर, पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एक तरफ जहां सरकार और जिला प्रशासन जागरूकता के लिए कई अभियान चला रही है. वहीं पटाखों से फैलने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने झारखंड में सिर्फ दो घंटे आतिशबाजी करने की छूट दी है.
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ग्रीन पटाखे की तरफ बढ़ा रुझान
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प्रदूषण को देखते हुए इस साल बाजार में आकर्षक ग्रीन पटाखे उपलब्ध है जो ग्राहकों को खूब पसंद आ रहे है. दुकानदारों का कहना है अन्य पटाखों की अपेक्षा ग्रीन पटाखे की मांग ज्यादा है. ग्रीन पटाखों के डिब्बे पर हरे रंग का एक नया लोगो जारी किया गया है, जिससे उसकी पहचान की जा सके. हालांकि प्रदूषण रहित ग्रीन पटाखों की कीमत सामान्य पटाखों से थोड़ी ज्यादा है, परंतु उनकी मांग ज्यादा है. दुकानों में फुलझड़ी से लेकर राकेट, लड़ी, अनार और आकाशिय साउंड के साथ अन्य किस्म के पटाखे उपलब्ध है. ग्राहक भी ग्रीन पटाखों वाला लोगो देखकर पटाखे खरीद रहे है. ग्राहकों का कहना है दिवाली मनानी है पर प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए और इसके लिए वे ग्रीन पटाखे ही खरीद रहे है.
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ग्रीन पटाखे की ऐसे कर सकते है पहचान
असली ग्रीन पटाखे की पैकिंग काफी अलग होती है. इन पटाखों में सर्टिफिकेट और बारकोड डब्बे पर ही अंकित रहता है. इसे स्कैन करने पर पता लगेगा कि इस पटाखे में क्या-क्या मिलाया गया है. ज्यादातर लोगों को ग्रीन पटाखे की पहचान नहीं होती है. ऐसे में वे कई बार केमिकल युक्त और गंभीर गैस निकालने वाले पटाखे खरीद लेते हैं. इस कारण प्रदूषण भी काफी बढ़ जाता है. ग्रीन पटाखे आम पटाखों के मुकाबले सुरक्षित भी होते हैं. हालांकि ग्रीन पटाखे आम बिकने वालों पटाखों से थोड़े महंगे होते हैं.