Jamshedpur: आज योग एक विश्वव्यापी शब्द तो बन गया है लेकिन इसे केवल आसन और प्राणायाम की परिधि में ही आबद्ध किया जा रहा है. यह बात आचार्य स्वतंत्र देव महाराज ने शुक्रवार को विहंगम योग संस्थान द्वारा आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि योग के मूल स्वरूप आत्मज्ञान व परमात्मज्ञान की आंतरिक साधना की प्रक्रिया गौण होती जा रही है. विहंगम योग एक संपूर्ण योग है. जिसके मध्यम से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व आत्मिक विकास संभव है.
अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है: आचार्य विज्ञान देव महाराज
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इस अवसर पर आचार्य विज्ञान देव महाराज ने कहा कि स्वर्वेद अध्यात्म जगत की एक अन्यतम कृति है. स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है. भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है. उन्होंने कहा कि आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व मे अशांति है. कार्यक्रम का शुभारंभ बातें विहंगम योग के संत प्रवर आचार्य स्वतंत्र देव एवं विज्ञान देव द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. इस मौके पर झारखंड विहंगम योग संत समाज के परामर्शक सुखनंदन सिंह सदय, अध्यक्ष राधा कृष्ण सिंह, महामंत्री ललित सिंह, संयोजक चंद्रशेखर सिंह, नागेंद्र शर्मा, आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
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