Vinit Upadhyay
Ranchi : रांची की बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार समेत राज्य के अन्य जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों को जल्द खुली हवा में सांस लेने का मौका मिल सकता है. झालसा और डालसा इसके लिए कोशिश कर रहे हैं.
झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा एक टीम गठित कर जेल में बंद सजायाफ्ता कैदियों की एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है. जिसके बाद अपने जुर्म का प्रायश्चित कर चुके कैदियों को जेल से बाहर निकालने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
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क्या है उम्रकैद के बन्दियों की रिहाई की प्रक्रिया
उम्र कैद की सजा पूरी कर चुके कैदियों से संबंधित रिपोर्ट जिले के पुलिस अधीक्षक,प्रोबेशन ऑफिसर और संबंधित न्यायालय से ले जाती है.जिसके बाद मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कैदियों की रिहाई का निर्णय लिया जाता है. लेकिन जिन कैदियों की रिहाई का निर्णय सजा पुनरीक्षण परिषद की बैठक में नहीं हो पाता. उनके लिए डालसा उन कैदियों के आग्रह पर न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाएगा. ऐसे बंदियों की संख्या चार है. जबकि 80 ऐसे कैदी हैं जिन्होंने निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी करार दिए जाने के बाद लंबा समय जेल की सलाखों के पीछे बिताया है.
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किन कैदियों को मिलती है प्राथमिकता
कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व कई बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है. आमतौर पर वैसे बंदियों को प्राथमिकता दी जाती है जो लंबे समय से जेल की कालकोठरी के पीछे अपने द्वारा किए गए गुनाह का प्रायश्चित कर रहे है. जेल जाने के बाद उनके द्वारा कोई और अपराध नहीं किया गया हो इसके साथ ही जेल में रहने के दौरान उनका आचरण कैसा है इस बात का ख्याल भी रिहाई की प्रक्रिया के वक्त देखा जाता है.
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