Ranchi: झारखंड राज्य के गठन के 20 साल बाद भी अति पिछड़ी जातियों को एक साजिश के तहत संवैधानिक अधिकारियों से वंचित किया गया है. मंडल कमीशन की सिफारिश सम्पूर्ण भारत में 7 अगस्त 1990 को लागू किया गया. इसके फलस्वरूप देश भर में नौकरियों में पिछड़ों को 27 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है. इसी के मद्देनजर सोमवार को झारखंड पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा द्वारा राजभवन के सामने एक दिवसीय धरना दिया जा रहा है. उक्त धरना से मोर्चा के सदस्यों को मांग है कि सरकारी नौकरी में पिछड़ों को दिया जाने वाला आरक्षण 14 प्रतिशत को बढ़कर 36 प्रतिशत किया जाए.
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इसके लिए झारखंड के उच्च न्यायालय और राज्य पिछड़ा आयोग ने सरकार को अनुसंशा किया है. उसके अलावा राज्य के सभी जिलों में रोस्टर प्रणाली को सुधारा जाए और जिला स्तर की नौकरियां में वहां पिछड़ी जातियों की आबादी के अनुरूप आरक्षण दिया जाए. पंचायतों में जहां पिछड़ों की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी है उन्हें अतिशीघ्र अनुसूचित क्षेत्र से बाहर किया जाए.
संघर्ष मोर्चा की मुख्य मांगें-
– सरकारी नौकरियों में पिछड़ों को 14% आरक्षण से बढ़ाकर 36% किया जाए. उच्च न्यायालय ने एवं राज्य पिछड़ा आयोग ने सरकार को अनुशंसा किया है.
– झारखंड के सभी जिलों में रोस्टर प्रणाली को सुधारा जाए और जिला स्तर की नौकरियों में वहां की पिछड़ी जातियों की आबादी के अनुरूप आरक्षण दिया जाए.
– पंचायतों में जहां पिछड़ों को 50% से अधिक आबादी है उन्हें अतिशीघ्र आधीसूचित क्षेत्र से बाहर किया जाए.
– पिछड़ा वर्ग वित्त निगम का गठन किया जाए एवं वन अधिनियम में पिछड़ों के साथ भेदभाव बंद किया जाए.
– पिछड़ी जातियों के परिणात्मक आंकड़ों के लिए सरकार द्वारा अतिशीघ्र जनगणना कराई जाए.
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