Ranchi: झारखंड बजट वर्ष 2021-2022 में ‘आदिवासी, दलित व वंचित समुदाय के लिए क्या है’ इस पर आदिवासी व दलित समुदायों के लिए काम करने वाले सामाजिक संगठनों के द्वारा शनिवार को रांची स्थित एचआरडीसी भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. भोजन का अधिकार अभियान और दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन के नेतृत्व में प्रेसवार्ता को संपन्न किया गया.
इस दौरान एनसीडीएचआर के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार को बजट में आदिवासी व दलित तथा वंचित समुदायों को विशेष रूप से ध्यान रखकर बजटीय प्रावधान होना चाहिए. और आदिवासी व दलित छात्रों की छात्रवृति और उनकी शिक्षा को केंद्र में रखते हुए बजटीय प्रावधान तैयार किया जाना चाहिए था, ताकि आदिवासी, दलित व वंचित सुमदायों को शिक्षा मिल सके. क्योंकि कोविड-19 के कारण छात्रों के सामने आर्थिक स्थिति की समस्या खड़ी हुई है. जिसके कारण कई छात्र-छात्राओं को पढ़ाई भी छोड़ना पड़ा है. झारखंड के बजट में आदिवासी, दलित और वंचित समुदायों के साथ साथ महिला, बच्चों और छात्रों को भी ध्यान में रखना जरूरी है.
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इस साल वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव झारखंड के अगले एक साल तक आर्थिक विकास के नींव रखते हुए अपने भाषण में कई मुद्दों पर बात रखी. इसमें आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्गों की अगर बात करें तो तो उन्होंने ग्रामीण विकास, कल्याण और समाज कल्याण विषय के मुद्दों पर बात करते हुए उनके विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के बारे में श्रोताओ को साझा किया था. कुछ महत्वपूर्ण विभाग जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अल्पसंख्यक और अन्य पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग के लिए पिछले वर्ष 124.41 करोड़ रुपयों का आवंटन था जो कि इस बार घटकर 123.710 करोड़ रुपए का आवंटित हुआ है.
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साथ ही प्रेस वार्ता में महिलाएं और बच्चों के लिए बजट, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक छात्रवृति और शिक्षा की अन्य योजनाएं, स्वास्थ्य और पोषण, कृषि और टिकाउ खेती, पेंशन पर चर्चा की गयी. खाद्य सुरक्षा के परिपेक्ष्य के लिए क्या बजट होना चाहिए, जिससे कि गांवों में पिछड़े, दलित, आदिवासी, महिलाएं और बच्चों का विकास हो सके, इस पर भी विमर्श किया गया.
इस मौके पर एनसीडीएचआर के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार,भोजन के अधिकार अभियान के सलाहकार बलराम, संयोजक अशर्फी नंद समेत अन्य लोग मौजूद थे.
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