Ranchi : जहां एक तरफ पूरा देश डिजीटल हो रहा है. सभी सरकारी संस्थाओं को अपग्रेड किया जा रहा है. पुलिस भी ऑनलाइन शिकायत पर कार्रवाई कर रही है. लेकिन झारखंड के हजारीबाग जिले में चार ऐसे थाने है जो अपने भवन के लिए तरस रहे है. वर्तमान में हालत यह है कि यह चारों थाना झोपड़ी या टीन के बने शेड पर चल रहे है. इन थानों में ना तो थाना प्रभारियों के बैठने के लिए चैंबर है और ना ही शिकायत करने आये लोगों के लिए. इन थानों में तैनात जवान किसी तरह ड्यूटी कर रहे हैं. पुलिसिंग करना यहां चुनौती से कम नहीं है. इन थानों में मुफस्सिल, कोर्रा, लौहसिंघना और आंगो थाना शामिल है.
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मुफस्सिल थाना भाड़े के पुराने भवन पर संचालित हो रहा
हजारीबाग का मुफस्सिल थाना भाड़े के पुराने भवन पर संचालित हो रहा है. जानकारी के मुताबिक 10 नवंबर, 1982 को हजारीबाग जिला में मुफस्सिल थाना स्थापित हुआ था. तब से खासमहल की जमीन पर बने पुराने भवन में भाड़े पर ही संचालित हो रहा है. अब तक इस थाना में तीन दर्जन से अधिक थाना प्रभारियों का पदस्थापन हुआ है. लेकिन अबतक थाना का अपना भवन नहीं मिल पाया है.
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डीवीसी के जर्जर भवन में संचालित हो रहा कोर्रा थाना
कोर्रा थाना का भी अपना भवन नहीं है. नया थाना बनने का नोटिफिकेशन 2016 में हुआ था. कोर्रा थाना डीवीसी के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है. इस थाना में बैरक, रसोई, हाजत व शौचालय की व्यवस्था नहीं है.
टीन के शेड में संचालित लौहसिंघना थाना
लौहसिंघना थाना क्षेत्र का नोटिफिकेशन 2016 में हुआ है. यह थाना टीन के शेड में संचालित है. इसमें सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. थाना में मोर्चा, सिपाही बैरक, रसोई घर, हाजत व शौचालय समेत कई संसाधन उपलब्ध नहीं है.यह थाना अतिसंवेदनशील इलाके में संचालित हो रहा है. इस थाना का अपना भवन नहीं है.
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झोपड़ी में चल रहा आंगो थाना
आंगो थाना अपने भवन के लिए तरस रहा है. यह थाना झोपड़ी में ही चलाया जा रहा है. थाना में ना तो थाना प्रभारी के लिए बैठने के लिए चेंबर है. यहां तैनात जवान को ड्यूटी करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
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