Ranchi : पावर समस्या और उससे जुड़े मुद्दों पर तीन दिवसीय ऊर्जा मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन शुक्रवार से राजस्थान के उदयपुर में शुरू हुआ. इस कार्यक्रम में झारखंड से कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, जेबीवीएनएल के निदेशक केके वर्मा और जीएम कॉमिर्शियल ऋषिनंदन ने हिस्सा लिया. सम्मेलन के पहले दिन कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने झारखंड को लेकर अपनी बातें रखीं. उन्होंने कहा कि डीवीसी द्वारा समय-समय पर ऊर्जा के बकाए को लेकर राज्य में बिजली की कटौती करता है. इससे राज्य में संकट हो जाता है. राज्य का कोयले के रॉयल्टी के मद में लगभग 1,36,042 करोड़ रूपए केंद्र के पास बकाया है. उन्होंने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से कहा कि ऊर्जा के बकाए को कोयले के रॉयल्टी से काट कर बाकी रकम झारखंड को दे दिया जाए. इसके जवाब में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि इस बारे में वे केंद्रीय कोयला मंत्री से बात करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उन्हें लिखित रूप में इन सारी बातों को दें. इसके बाद वह केंद्रीय कोयला मंत्री से बात कर समाधान का रास्ता निकालेंगे.
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किसानों को खराब सोलर पंप मिलता है
कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने पीएम-कुसुम योजना को लेकर किसानों की समस्या को उठाया. उन्होंने कहा कि पीएम-कुसुम योजना पार्ट-बी में सोलर पंप वाली एजेंसी का चयन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है. जो मनमाने ढंग से काम करती है. कंपनी सोलर पंप किसानों देते तो है मगर उसकी गुणवत्ता इतनी खराब होती है कि काम नहीं करता है और मेटेनेंस भी नहीं किया जाता है. इसके जवाब में केंद्रीय उर्जा मंत्री ने कहा कि राज्य एजेंसी का चयन कर सकता है.
पकरीबरवाडी विस्थापन का मुद्दा मंत्री ने उठाया
बादल पत्रलेख ने केंद्रीय मंत्री से मांग की है कि ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को झारखंड में धनबाद जिले में हर्ब कारखाना सिंदरी में लगाएं. बादल ने पकरीबरवाडी में हो रहे विस्थापन का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के द्वारा कोल माइंस और पावर प्लांट हेतु पकरी बरवाडीह बड़कागांव तथा चतरा जिले में जमीन का अधिग्रहण किया गया है. इससे विस्थापन की समस्या खड़ी हो गई है. उन्होंने बताया कि आंदोलन के चलते कुछ लोगों की जान भी गई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि एनटीपीसी के द्वारा उचित मुआवजा तथा विस्थापितों को नौकरी उचित तरीके से दी जाए. उन्होंने वर्तमान दर से मुआवजा देने की मांग भी केंद्र सरकार से की है. उन्होंने कहा कि राज्य में काफी संख्या में लोग विस्थापन का दंश झेल रहे हैं. इस दिशा में उन्होंने केंद्र से इसका समाधान निकालने का अनुरोध किया है.
बिजली वितरण कंपनियां अमीर पर अधिक दिलचस्पी दिखाते हैं
मंत्री ने बादल ने कहा कि कहा कि झारखंड में जेबीवीएनएल के अलावा दूसरी बिजली वितरण कंपनियों द्वारा राज्य के सिर्फ अमीर उपभोक्तओं तथा औद्योगिक उपभोक्ता को बिजली देने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई जाती है. जिससे गरीब उपभोक्ता काफी परेशान होते हैं. इस दिशा में केंद्र को ध्यान देते हुए एक्ट लाने की जरूरत है, जिससे गरीब उपभोक्ताओं को लाभ मिल सके. उन्होंने बताया कि केंद्र के नियम के अनुसार जितना उपभोक्ताओं का लोड है .वह उतना का ही सोलर प्लांट लगा सकते हैं. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह करते हुए कहा है कि कोई भी उपभोक्ता 5 किलो वाट तक का रूफ़ सोलर प्लेट लगा सके. ऐसा नियम बनाया जाए इस पर केंद्रीय मंत्री ने नियम बनाने की बातें भी कही है.
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पावर प्लांट टाइम फ्रेम में पूरा हो
बादल पत्रलेख ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह उचित नियम बनाएं जिससे कोई भी पावर प्लांट समय बद्ध तरीके से लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि कोयले के क्षेत्र में हम देखते हैं कि कोल ब्लॉक यदि समय बद्ध तरीके से चालू नहीं किया जाता है. तो वहां पेनाल्टी लगाए जाने का प्रोविजन है. इसी तर्ज पर पावर प्लांट प्रोजेक्ट डेवलपमेंट को स समय प्रोजेक्ट लगाने का भी नियम बने अन्यथा उन पर भी पेनल्टी लगाई जाए. कृषि मंत्री की बातों पर गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया की झारखंड की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है और जल्द ही समस्याओं के निदान की दिशा में काम किया जाएगा.
उदयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
बता दें कि देश में पावर सेक्टर में आ रही समस्या और उससे जुड़े मुद्दों को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन राजस्थान के उदयपुर में चल रहा है. सम्मेलन 14 अक्टूबर से लेकर 16 अक्टूबर तक चलेगा. इस सम्मेलन में झारखंड से कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, निदेशक केके वर्मा, जीएम कॉर्मिशियल ऋषिनंदन हिस्सा ले रहे हैं.