Jamshedpur : पूर्व सांसद एवं आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झामुमो पर कुरमी मामले पर तीखा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि झामुमो कुरमी को एसटी बनाने की मांग पर अपना स्टैंड क्लीयर करे. नहीं तो उसे आदिवासी समाज के बेनकाब किया जाएगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी हित में गुरुजी शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, चंपई सोरेन और झामुमो के तमाम आदिवासी सांसद, विधायक क्लीयर करें कि आदिवासी समाज के साथ हैं या केवल वोट के लोभ लालच में कुरमी को एसटी बनाकर आदिवासी को फांसी के फंदे में लटकाना चाहते हैं.
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कुरमी आरक्षण को लेकर निशाने पर झामुमो
अगर झामुमो स्टैंड क्लीयर नहीं करता है तो यह प्रमाणित हो जाएगा कि झामुमो के सभी आदिवासी नेता, कार्यकर्ता और समर्थक आदिवासी विरोधी हैं. आदिवासी सेंगेल अभियान आपको और आपकी पार्टी को झारखंड और बृहद झारखंड क्षेत्र में सामाजिक-राजनीतिक आंदोलन को तीव्र और व्यापक बनाकर जरूर बेनकाब करेगी. यह बातें मुर्मू ने आज जमशेदपुर में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान कही. उन्होंने कहा कि 8 फरवरी 2018 को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो के सभी सांसद और विधायकों के हस्ताक्षर सहित कुरमी को एसटी बनाने का ज्ञापन पत्र तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को सौंपा था. उसी प्रकार 4 फरवरी 2022 को झारखंड दिवस के अवसर पर धनबाद गोल्फ मैदान में जनसभा करके गुरुजी शिबू सोरेन द्वारा भी यह घोषित करना कि कुरमी महतो को आदिवासी बनाना है.आदिवासी सेंगेल अभियान को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और मान्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है. आदिवासियों की रक्षार्थ और सरना धर्म कोड की मान्यता के सवाल पर दोनों का सहयोग लेने पर संघर्षरत है.
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मंत्री जगरनाथ महतो पर भी साधा निशाना
उन्होंने झामुमो के मंत्री जगरनाथ महतो को भी निशाने पर लिया. मंत्री ने केंद्र सरकार से पूछा है कि बिना किसी पत्र या गजट के कुर्मी को क्यों 1931में एसटी के सूची से बाहर किया गया है. यदि कुर्मी एसटी नहीं हैं तो उनकी जमीन सीएनटी में कैसे है. मंत्री जगन्नाथ महतो को ज्ञात होना चाहिए कि सीएनटी कानून की धारा 46(बी) के तहत एससी और ओबीसी के भी जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी में प्रावधान है. जिसको 2010 में तत्कालीन झारखंड सरकार, जिसके मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और सुदेश महतो ने तोड़ने का काम किया था. जिसके खिलाफ मैं झारखंड हाई कोर्ट में 4 दिसंबर 2010 को मुकदमा दायर करके उसको बचाया था. झारखंड हाई कोर्ट ने 25 जनवरी 2012 को हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था कि एससी और ओबीसी के जमीन का हस्तांतरण डीसी के अनुमति से ज़िले के भीतर ही सम्भव है. उल्लंघन अविलंब बंद हो. उन्होंने कहा कि मंत्री जगन्नाथ महतो का दावा तथ्यों से प्रमाणित नहीं होता है. दूसरी बात 1050 में संविधान लागू होने के बाद ही एसटी-एससी आदि की सूची बना है. उसके पहले ऐसी कोई सूची नहीं थी. अतः कुरमी जाति को 1931 की सूची से हटाना जैसी बात भ्रामक है, गलत है.