Ranchi: झारखंड राज्य बिवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड- JSBCL का गठन 26 नवंबर को 2010 को हुआ था. इसका गठन व्यापारिक संगठनों के एकाधिकार (सिंडिकेट) को समाप्त करने के लिए किया गया था. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का जिम्मा दिया गया था कि ग्राहकों को उनकी मांग के मुताबिक उचित दाम पर असली शराब मिल सके. कॉरपोरेशन को राजस्व बढ़ाने के अलावा शराब बेचने के लिए लाइसेंस उपलब्ध कराने का काम दिया गया.
कॉरपोरेशन ने अपना काम पहले तीन जिले (धनबाद, देवघर और जामताड़ा) से शुरू किया था, जो अब पूरे राज्य में फैला हुआ है. एक तरह से कहा जा सकता है कि कॉरपोरेशन राज्य में शराब का थोक कारोबार करता है. कॉरपोरेशन के पास 21 जिलों में गोदाम हैं, जहां से राज्यभर की 1429 खुदरा दुकानों में शराब की सप्लाई होती है. कॉरपोरेशन ने 39 शराब कंपनियों की राज्य में शराब बेचने का करार किया है. कॉरपोरेशन ने अपना काम पूरे राज्य में 2013 से शुरू किया. इस साल शराब का कारोबार राज्या में 593 करोड़ का था.
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सात साल में कारोबार में हुई काफी बढ़ोतरी
कॉरपोरेशन बनने के बाद शराब कारोबार लगातार बढ़ता गया. कारोबार में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिलने लगी 2019-20 में शराब का कारोबार 593 करोड़ से बढ़कर 1792.80 करोड़ का हो गया.
- जानें हर साल कितना बढ़ा कारोबार
- 2012-13 593.00 (इसी साल जेएसबीसीएल का गठन हुआ)
- 2013-14 643.70
- 2014-15 764.55
- 2015-16 915.68
- 2016-17 957.62
- 2017-18 847.24
- 2018-19 1082.00
- 2019-20 2009.00
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मुनाफा बढ़ने के बावजूद सरकार प्राइवेट हाथ में दे रही है शराब का कारोबार
सरकार के हर विभाग का फोकस राजस्व बढ़ोतरी पर रहता है. उत्पाद विभाग के साथ भी ऐसा ही है. कॉर्पोरेशन भी राजस्व उगाही में किसी दूसरे विभाग से पीछे नहीं रहा. बावजूद इसके सरकार कॉर्पोरेशन को भंगकर शराब का थोक व्यापार प्राइवेट हाथों में दे रही है. प्राइवेट हाथ में थोक व्यापार देने की शर्तें भी ऐसी रखी गयी हैं कि चुनिंदा लोग ही इस व्यापार में शामिल हो सकेंगे. देशभर में झारखंड पहला राज्य होगा, जो किसी व्यापार के आवेदन शुल्क के एवज में 25 लाख रुपये लेगा, जो वापस नहीं होगा. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सरकार तक पहुंच रखने वाले इस कारोबार में शामिल हो रहे हैं. आखिर जब गारंटी नहीं होगा, तो 25 लाख का जुआ कौन खेलेगा.