Amit Singh
Ranchi : झारखंड के वन विभाग में जंगल राज है. जिन अफसरों पर गड़बड़ी करने का आरोप है, वही अपने खिलाफ लगे आरोपों जांच कर रहे हैं. झारखंड वन विभाग में 32 ऐसे मामलों की जांच चल रही है, जिसमें आरोपी फॉरेस्ट अफसर ही जांच कर रहे हैं. इसके अलावा राज्य भर में वित्तीय अनियमितता, निर्माण में घोटाला, पौधारोपण में गड़बड़ी आदि से संबंधित 90 से ज्यादा मामले जांच के दायरे में हैं. वन विभाग का अपना इंजीनियरिंग विंग नहीं है. रेंजर ही अपनी देखरेख में निर्माण कार्य कराते हैं. काम करने वाली एजेंसी का चयन भी अफसर ही खुद करते हैं. ऐसे में अनियमितता की संभावना बनी रहती है. यह वन विभाग के जिम्मेवार भी मानते हैं. मगर सबकुछ जानते हुए भी खामोश रहते हैं.
वर्ष 2017 से 2019 के बीच करीब 250 करोड़ का निर्माण कार्य हुआ
वन विभाग के रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, सरायकेला और चतरा प्रमंडल में करोड़ों का निर्माण कार्य पिछले तीन वर्षों में हुआ है. वर्ष 2017 से 2019 के बीच करीब 250 करोड़ का निर्माण कार्य कराया गया है. इसमें से ज्यादातर निर्माण कार्यों में गड़बड़ी और वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिली. मुख्यालय ने जांच की जिम्मेवारी डिविजनल फॉरेस्ट अफसर ( डीएफओ) को सौंपी है. मजेदार बात यह है कि डीएफओ की देखरेख में ही सारा काम हुआ. उनके निर्देश पर आरएफओ और वनपाल ने काम कराया. ऐसे में डीएफओ जांच में कितनी ईमानदारी बरतेंगे, यह समझा जा सकता है.
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वन विभाग मुख्यालय से सात बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गयी
वन विभाग ने जिन आरएफओ को जांच सौंपी है, उनसे सात बिंदुओं पर जांच रिपोर्ट समर्पित करने को कहा है. इनमें श्रमिकों का भुगतान, उनके मस्टर रोल का सत्यापन, सामग्री का क्रय हुआ या नहीं, क्रय की प्रक्रिया, भुगतान, जमीन पर योजनाएं उतरी या नहीं, अद्यतन कार्य की क्या स्थिति है, आदि शामिल हैं.
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केस स्टडी से समझिए, कैसे हो रही जांच की खानापूरी
केस 1 – वन विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में रिंग रोड के दोनों किनारे 10 किलोमीटर के दायरे में पौधरोपण किया गया था. इसमें करोड़ों रुपये खर्च हुए थे. लेकिन स्थिति यह है कि 10 फीसदी पौधे भी नहीं बचे हैं. विभागीय लापरवाही की वजह से पौधरोपण में भारी अनियमितता की शिकायत मिली. इसकी जांच वही अफसर कर रहे है, जिनकी देखरेख में पौधरोपण का कार्य हुआ है.
केस 2 – लातेहार सामाजिक वानिकी प्रक्षेत्र में बांस का गैबियन लगाने में करीब 75 लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया. शिकायत मिलने के बाद वन विभाग में लातेहार के उन्हीं अफसरों को जांच का जिम्मा सौंपा, जिनकी देखरेख में गैबियन लगाने काम हुआ था.
केस 3 – जामताड़ा वन प्रमंडल में गत वर्ष तीन करोड़ की वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिली. जिन अफसरों ने कुंआ, तालाब और पौधरोपण पर राशि खर्च की थी, विभाग ने उन्हीं अफसरों से पूरे मामले में जांच रिपोर्ट तलब की है.
प्रमंडल स्तर पर इन मामलों की चल रही है जांच
- साहिबगंज वन प्रमंडल: 50 लाख पौधे लगाने के नाम पर 50 लाख रुपये का गबन.
- बोकारो वन प्रमंडल : पौधारोपण के नाम पर 50 लाख रुपये का गबन.
- पाटन वन क्षेत्र : पौधारोपण में चार लाख रुपये की अनियमितता.
- डालटनगंज वनरोपण प्रमंडल: सड़क के किनारे पौघारोपण के नाम पर 10 लाख रुपये की हेराफेरी.
- हजारीबाग वन्य प्राणी प्रमंडल: मिट्टी खरीद के नाम पर 50 लाख रुपये का गबन.
- गुमला वन प्रमंडल: पौधारोपण के नाम पर 3 करोड़ रुपये राशि की निकासी.
- हजारीबाग नेशनल पार्क : मनरेगा के तहत 10 किलोमीटर में बांस गैबियन लगाना था, एक भी नहीं लगा. 50 लाख रुपये की अनियमितता.
फॉरेस्ट कालोनी को भी नहीं छोड़ा, गड़बड़ी की शिकायत के बाद हो रही जांच
- कर्मचारी आवासीय कॉलोनी में गोदाम निर्माण में अनियमितता.
- वरीय वन पदाधिकारियों की कॉलोनी में सड़क निर्माण में अनियमितता.
- वरीय वन पदाधिकारियों की कॉलोनी में नाली निर्माण में अनियमितता.
- वरीय वन पदाधिकारियों की कॉलोनी में पहुंच पथ निर्माण में अनियमितता.
- थर्ड और फोर्थ ग्रेड कर्मियों की कॉलोनी में पहुंच पथ निर्माण में अनियमितता.
- पीसीसीएफ कार्यालय भवन के जीर्णोद्धार में अनियमितता.
- सीडा भवन के जीर्णोद्धार में अनियमितता.
रेंजर खूब लुटता हैं,
वनरक्षी को जबरदस्ती मास्टर रोल में सिग्नेचर करवाता हैं