Nishikant Thakur
आज जिस बात की चर्चा पूरे देश में चरम पर है, वह है अमेरिकी सरकार द्वारा अवैध तरीके से उनके देश में घुसकर चोरी-छिपे काम करने वाले लोगों की डिपोर्टिंग. बहुत ही त्राहिमाम की स्थिति बनी हुई है, लेकिन प्रश्न यहां यह है कि ऐसा क्यों? क्या डिपोर्टेड व्यक्ति को भारत सरकार ने चोरी-छिपे अमेरिका जाने के लिए कहा था या फिर अमेरिकी सरकार ने उन्हें अपने यहां प्रवेश की अनुमति दी कि वे किसी तरह अमेरिका पहुंच जाएं, उनके लिए रोजगार तैयार है, उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था कर दी गई है, बस अब आपके आनेभर की देर है.
किसी भी तरह से ऐसी बात अब तक सामने नहीं आई है कि डिपोर्ट किए गए किसी भी व्यक्ति के साथ ऐसा वादा अमेरिकी सरकार या भारत सरकार ने कभी नहीं किया था. फिर दोनों सरकार पर जो यह आरोप लगाया जा रहा है कि डिपोर्टिंग की यह प्रक्रिया अमानवीय है और इस प्रकार से लोगों को डिपोर्ट नहीं करना चाहिए. भारत सरकार को भड़काया जा रहा है कि वह अमेरिकी सरकार से इस विषय में आंखें लाल करके बात करे. लेकिन, सवाल यह है कि भारत सरकार किस आधार पर अमरीकी सरकार से बात करे और यह कहे कि आपने डिपोर्ट किए लोगों के साथ जो सलूक किया, वह कानून सम्मत नहीं है. इसलिए सरकार उन लोगों पर रहम करे?
यह कैसी बात हुई कि हम अपराध भी करें और सीना जोरी भी करें कि जो हुआ, वह कानून सम्मत हुआ, इसलिए ऐसे लोगों की इज्जत होनी चाहिए. हां, यह ठीक है कि अपने पक्ष को मजबूत करने और देश के सामान्य जनता को सांत्वना देने के लिए यह कहना तो ठीक है कि अमेरिकी सरकार ने जिस तरह से हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर पूर्ण सुरक्षा में अपराधी की तरह भेजा, वह गलत था. अथवा, यह कहा जा रहा है कि अमुक देश ने अपनी धरती पर अमेरिकी वायुसेना के विमान को उतरने नहीं दिया और अपना विमान भेजकर उन डिपोर्टेड व्यक्तियों को अपने यहां बुला लिया. चूंकि भारत सरकार ने ऐसा नहीं किया, जिसके कारण भारत की जमीन पर अमेरिकी वायुसेना का विमान उतरा. इसी के कारण विश्व में भारत की किरकिरी हुई.
यह क्या बात हुई! निश्चित रूप से अमेरिका ने ऐसे लोगों को वापस सुरक्षित अपने देश पहुंचा दिया है, उसे किसी भी तरह से अनुचित कहा जा सकता? कैसे? ऐसे व्यक्ति तो दो देश के अपराधी हुए. पहला तो वे, जो कबूतरबाजों के गिरोह में फंसकर या फिर डंकी बनकर महीनों-वर्षों में अमेरिका पहुंचा दिए जाते हैं अथवा बदमाशों द्वारा की गई लूटपाट में अपनी जान गंवा बैठते हैं या पकड़े जाने पर बेमौत मार दिए जाते हैं. सच में अपराधी ऐसे दलाल हैं, जो कबूतरबाजी या डंकी के माध्यम से भोल-भाले लोगों को ठगकर विदेशी स्वप्न दिखाकर उन्हें विदेश भेजने के नाम पर उनका सर्वस्व लूट लेते हैं.
क्यों नहीं पकड़े जाते ऐसे कबूतरबाज या ऐसे दलाल, जो एक सामान्य व्यक्ति को अपना घर-द्वार छुड़ाकर विदेश भेजने का सपना दिखाकर उन्हें बिकवाकर लूट लेते हैं. सोचने की बात तो यह भी है कि जो डंकी बनकर या कबूतरबाजी के अवैध तरीकों से विदेशों में जाकर धन कमाने का सपना देखते हैं, उन्हें कैसे समझाया जाए? कैसे उन कबूतरबाजों और दलालों को समूल नष्ट कर दिया जाए.
हां, यहां भारत सरकार की गलती निश्चित रूप से इतनी है कि जो इन अपराधी प्रवृति के कबूतरबाजों और डंकी बनाकर भेजने वाले दलालों को कानून की गिरफ्त में लेकर एक स्थायी समाधान नहीं कर रही है. हां, इसके लिए पुलिस, खुफियातंत्र सब फेल क्यों हो जाते. क्या वे सभी धन में हिस्सेदारी के लालच में आकर इस घृणित कार्य में शामिल हो जाते हैं?
अभी तक, जो तीन खेपों में ऐसे डिपोर्टियों को पांच फरवरी से अब तक भेजा गया, उसके बाद दो विमान और भेजे गए. दो विमानों में भेजे गए डिपोर्टियों को तो हथकड़ियों और बेड़ियां से जकड़कर भेजा गया था, लेकिन तीसरी खेप के लिए यह बात मीडिया में नहीं आने दी गई; क्योंकि इससे जनभावना को ठेस पहुंचेगी. यह सच भी है कि जिन्होंने मामले को पूरी तरह से समझ लिया है, उनके लिए यही काफी है कि जो हो रहा है, वह ठीक है.
लेकिन जिनकी जानकारी में यह पूरा मामला नहीं आ सका कि आखिर उन्हें इस तरह क्यों भेजा जा रहा है, उनके लिए सच में यह दुखदायक है. दरअसल, दूसरी बार ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने अपने देशवासियों से यह कहा था कि जो अवैध घुसपैठिये किसी भी देश से आकर उनके यहां रह रहे हैं, उन सबको वापस अपने देश भेजा जाएगा. अमेरिका ऐसा केवल भारतीय घुसपैठियों को ही बेड़ियों और हथकड़ियों में स्वदेश वापस नहीं लौटा रहा है, बल्कि विश्व के किसी भी देश से अमेरिका में छुपकर घुस आने वालों के साथ ऐसा करना शुरू कर दिया है. आगे-पीछे ऐसे सभी अवैध घुसपैठिये को निकालकर बाहर किया जा रहा है.
यदि अमेरिका अपने देश में अवैध रूप से घुसकर रहनेवालों के साथ ऐसा नहीं करता, तो उसके लिए दूसरा मार्ग यही बचा था कि उन्हें कठोर दण्ड देकर जेल भेज दिया जाए. लेकिन, ऐसा करने से देश की जेल का भार बढ़ता, जिसका असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता था. अमेरिकी राष्ट्रपति का यह भी कहना है कि ऐसे अवैध घुसपैठियों के कारण उनके देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, विदेशी उनके हक पर काबिज होकर उनके रोजगार के मार्ग को अवरुद्ध कर देते हैं जिसके कारण उनके अपने देश के युवा अपने ही देश में बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं.
भारत के प्रधानमंत्री पिछले दिनों अपनी अमेरिकी यात्रा पर थे, तो इस बात का कयास लगाया जा रहा था कि वे भारतीयों को हथकड़ी और बेड़ियां लगाकर भेजने के मामले पर बात करेंगे, लेकिन अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आ सकी है कि प्रधानमंत्री ने इस मामले पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कोई बात की थी या नहीं. हां, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में कहा था कि अमेरिका में अवैध प्रवासियों को अपने देश में भेजने की यही प्रक्रिया अपनाई जाती है.
यह बात भी साफ नहीं है कि और कितनी खेप आएगी; क्योंकि डंकी और कबूतरबाजी के द्वारा विभिन्न मार्गों में उन्हें अमेरिका सहित कई देशों में भेजा गया है. अब भविष्य में ऐसा न होने पाए, इसके लिए राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को मजबूत होना पड़ेगा और सबसे पहले डंकी के दलाल और कबूतरबाजों को अपनी गिरफ्त में लेना पड़ेगा और देश को दिखाना पड़ेगा कि भोले-भाले लोगों की तस्करी का क्या अंजाम होता है.
अन्यथा अभी तो भारत केवल अमेरिका से ही यह अपमान सह रहा है, धीरे-धीरे यह बात पूरे विश्व में फैलेगी और वहां भी अवैध रूप से गए ऐसे लोगों को वह अपने देश में कड़ी सजा देकर भारत वापस भेजेगा. यदि आगे सरकार अपने इस अपमान से बचना चाहती है, तो सबसे पहले उसे अपने यहां रोजगार का सृजन करना होगा, जिसके लिए राज्य सरकारों सहित केंद्र सरकार की भागीदारी अनिवार्य हो. तभी हमारा देश इस अपमान से निजात पा सकेगा, अन्यथा कबूतरबाजी तथा डंकी के दलाल दिन-प्रतिदिन ऐसे ही भोली भाली जनता का ठगते रहेंगे और वे स्वयं अथाह समाप्ति के स्वामी बनते रहेंगे साथ ही भोली-भाली जनता को भिखारी बना कर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर करते रहेंगे.
डिस्क्लेमर : लेखक वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार हैं, ये इनके निजी विचार हैं.