Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के छोटानागरा पंचायत अंतर्गत जोजोगुटू गांव में फैली बीमारी की मुख्य वजह अचानक मलेरिया विस्फोट अथवा मलेरिया आउट ऑफ ब्रेक होना है. उक्त बातें जिला सर्विलांस सह वीबीडी प्रभारी डॉ संजय कुजूर ने लगातार न्यूज से बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि जो मौतें हुईं उसमें तीन मौतें उच्च बुखार की वजह से जो संभवतः मलेरिया की वजह से हो सकती है. मृतक की मलेरिया जांच नहीं हुई थी. दो मौत मनोहरपुर व गुवा अस्पताल में हुई जो अलग-अलग बीमारी की वजह से हुई. आज जोजोगुटू में आयोजित चिकित्सा शिविर में 252 मरीजों का इलाज किया गया. इसमें 114 मरीजों की मलेरिया जांच की गई, जिसमें 23 मलेरिया संक्रमित पाये गये हैं. दो बच्चों को मनोहरपुर अस्पताल बेहतर इलाज हेतु भेजा गया है. मनोहरपुर सीएचसी प्रभारी डॉ कन्हैया लाल उरांव को निर्देश दिया गया है कि वे मलेरिया प्रभावित तमाम गांवों में मेडिकल टीम प्रतिदिन भेजकर बुखार से पीड़ित लोगों को चिन्हित करें और उनकी मलेरिया जांच कर उचित दवा दें. गंभीर मरीजों को तत्काल मनोहरपुर अस्पताल भेजें.
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ग्रामीणों को दी गई है मच्छरदानी
उन्होंने कहा कि सभी ग्रामीणों को मच्छरदानी दी गई है, जिसका वे इस्तेमाल करें. पानी को उबाल कर पीयें. अंधविश्वास का सहारा न लेकर चिकित्सक से सम्पर्क करें. इस क्षेत्र में दूषित व लाल पानी का इस्तेमाल भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने का बड़ा कारण है. एमपीडब्लू व एएनएम भी मलेरिया की जांच कर जरुरी दवा देने में सक्षम हैं. इस दौरान टाटा स्टील नोवामुंडी अस्पताल के चिकित्सक डॉ तापस षाड़ंगी, डॉ दिनेश कुमार, मनोहरपुर अस्पताल के सीएचसी प्रभारी डॉ कन्हैया लाल उरांव, डॉ अनिल कुमार, सदर अस्पताल के डॉ अजय कुमार, फार्मासिस्ट रौशन कुमार आदि मौजूद थे.
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ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए : मधु कोड़ा
जोजोगुटू घटना की खबर पाकर जोजोगुटू गांव पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एवं सांसद गीता कोड़ा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जोजोगुटू व आसपास गांवों में सात लोगों की मौत काफी दुःखद है. ऐसी घटना नहीं होनी चाहिये. यह पूरी तरह से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है. ऐसी घटना 3-4 साल पहले भी हो चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग सतर्क नहीं था. उन्होंने कहा कि झारखंड में चिकित्सक की भारी कमी है, लेकिन झारखंड सरकार इसका रोना न रोये क्योंकि चिकित्सकों की कमी से संबंधित समस्या को दूर करने का काम भी झारखंड सरकार का है. सारंडा का छोटानागरा पंचायत सेल की किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, गुआ व चिडि़या तथा टीएसएलपीएल खदान से घिरा है.
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खदानों के लाल पानी से नदी-नाला प्रदूषित
खदानों का लाल पानी नदी-नालों को पूरी तरह से लाल व प्रदूषित कर दिया है. जिसका पानी पीकर ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. बाईहातु में करोड़ों की लागत से बना पेयजल आपूर्ति योजना भी भारी भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ गया है तथा पानी को फिल्टर कर सप्लाई करने के बजाय नदी का लाल पानी सीधे सप्लाई कर दे रहा है. यहां के चापाकलों से भी दूषित व बदबू भरा पानी निकलता है जिस कारण लोग चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि डीएमएफटी फंड से अरबों रुपये खर्च हो रहा है. लेकिन सारंडा के लोगों का स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं का समाधान नहीं किया जा रहा है. सारंडा के छोटानागरा जैसे क्षेत्र में स्थायी डाक्टर व एम्बुलेंस नहीं होना शर्म की बात है.
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जागरुकता के अभाव में अंधविश्वास का सहारा ले रहे लोग
लोग खराब व्यवस्था व जागरुकता के अभाव में अंधविश्वास का सहारा लेने को मजबूर हैं. छोटानागरा पंचायत का बहदा गांव में सड़क निर्माण हेतु चार बार उपायुक्त को कहा गया लेकिन आज तक कोई कार्य नहीं हुआ. सारंडा एक्शन प्लान का सारी सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़कर टूट गई. ठेकेदार को जब गलत कार्य करने से ग्रामीण रोकते हैं तो उन्होंने नक्सली धमकी के आरोप में फंसाने का भय दिखाया जाता है.
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प्रभावित गांवों में हमेशा टीम भेजकर इलाज कराएं : गीता
सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि हम उपायुक्त से बोलेंगे कि डीएमएफटी फंड से सारंडा समेत अन्य सुदूरवर्ती गांवों में चिकित्सक, एम्बुलेंस आदि तमाम सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था करायें. हमने चिकित्सकों को आदेश दिया है कि वे निरंतर प्रभावित गांवों में टीम भेजकर लोगों का इलाज करें, ताकि आगे किसी की मौत नही हो. आजादी के बाद भी जब सारंडा के लोग लाल पानी पीयें, इससे दुर्भाग्य की बात क्या है. गांवों में खराब ट्रांसफॉर्मर के बाबत उन्होंने कहा कि गांव में तीन फेज लाइन देने हेतु सर्वे चल रहा है और जल्दही 19 केवी वाले ट्रांस्फार्मर की जगह 25 केवी का ट्रांसफॉर्मर लगाया जायेगा. इस दौरान कोडा़ दम्पत्ति ने बाईहातु जल मीनार योजना का जायजा लिया जहां से लाल पानी आपूर्ति होता है. वहां तैनात कर्मचारी ने कहा कि फिल्टर प्लांट खराब है जिस वजह से ऐसा हो रहा है और नदी का पानी सीधे सप्लाई किया जा रहा है. ग्रामीणों ने कोड़ा दम्पत्ति के सामने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, एम्बुलेंस, खराब ट्रांस्फार्मर, सड़क, पुल आदि तमाम समस्याएं रखी.