Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा स्थित छोटानागरा पंचायत के बहदा गांव के ग्रामीणों की समस्या सभी समस्याओं से न सिर्फ बड़ी है, बल्कि अब तक की तमाम सरकारों और जिला प्रशासन के लिये शर्मसार करने वाली है. बहदा गांव में जाने के लिये आजादी के बाद से लेकर आज तक पक्की सड़क और ओम्बाबाई नाला पर पुल का निर्माण तक नहीं हो सका. इस वजह से बहदा गांव के ग्रामीण बरसात के मौसम में लगभग 3 माह तक अपने आपको गांव में ही कैद रखने या टापू की तरह जीवन बिताने को मजबूर रहते हैं. छोटानागरा- किरीबुरु पीडब्ल्यूडी मुख्य सड़क से बहदा गांव की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है. इसके बीच में तितलीघाट गांव भी आता है. इस गांव में कोई अगर बरसात के मौसम में बीमार या प्रसव पीड़ा से परेशान हो जाये तो ग्रामीण उसे चाहकर भी अस्पताल नहीं पहुंचा सकते हैं. वजह यह है कि पीडब्ल्यूडी सड़क से बहदा गांव तक की कच्ची सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है. इस गांव वाले रास्ते में पड़ने वाला ओम्बाबाई नाला में वर्षा होने पर पानी भर जाता है, जिससे नाला पार होना मुश्किल है. आसपास की पहाड़ों से उतरने वाली वर्षा का पानी इस नाले से उफान मारते हुये बहती है.
इसे भी पढ़ें : राष्ट्रपति चुनाव की काउंटिंग गुरुवार को, द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर लगेगी मुहर
पाइप लाइन बिछाई गई लेकिन पानी नहीं पहुंच पाता
बहदा गांव तक बाईहातु स्थित आसन्न ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत पानी पाईप लाईन तो बिछाया गया है लेकिन पानी गांव तक नहीं पहुंच पाती. कुछ घरों तक जाती भी है तो मुश्किल से 1-2 डेगची पानी भर पाते हैं. पंचायत फंड से गांव में सोलर चालित एक जलमीनार बोन्डोल चाम्पिया के घर के सामने लगाया गया था जो एक माह से खराब है. इसे ठीक करने हेतु जब विभागीय पदाधिकारी को कहा जाता है जो जबाब मिलता है कि जब टेंडर होगा तब ठीक किया जायेगा. ग्रामीण स्वयं पैसा से प्राईवेट मिस्त्री बुलाकर इसे ठीक कराने का प्रयास किये लेकिन ठीक नहीं हुआ. ग्रामीण नदी-नाला का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में स्थित विद्यालय में पढ़ाने मनोहरपुर के शिक्षक आते हैं, लेकिन दलदल में तब्दील सड़क और नाले के ऊपर से बहती पानी की वजह से वह भी बैरंग लौट जाते हैं. बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से प्रभावित हो गई है.
इसे भी पढ़ें : चाईबासा : महिला कॉलेज इग्नू सेंटर में 22 जुलाई से होगी परीक्षा, तैयारी पूरी
सभी गांवों में मलेरिया व मौसमी बीमारी का प्रकोप
गांव के मुंडा रोया सिद्धू और कामेश्वर माझी ने बताया कि छोटानागरा पंचायत के तमाम गांवों में मलेरिया व मौसमी बीमारी का प्रकोप बढा़ है. इससे हमारा गांव भी बुरी तरह से प्रभावित है. टाटा स्टील की टीएसएलपीएल खादान प्रबंधन हमारे गांव में चिकित्सा शिविर लगाने पर सहमत हो गई है लेकिन सड़क व पुल नहीं होने की वजह से उनके चिकित्सक टीम व एम्बुलेंस गांव नहीं जा सकती, गांव से बाहर हम मरीजों को भी ला नहीं सकते. ऐसी स्थिति में हम क्या करें ! मरीजों को सड़क, पुल के अभाव में ऐसे हीं मरते छोड़ दें! ग्रामीण वर्षात में राशन व दूसरी जरूरी समान भी खरीदने या लाने छोटानागरा आदि गांवों में नहीं जा सकते. इस सड़क मार्ग में कुछ जमीन वन विभाग की आती है लेकिन हम ग्रामीण प्रयास कर तत्कालीन सारंडा के डीएफओ रजनीश कुमार से एनओसी दिलाकर ग्रामीण विकास विभाग चक्रधरपुर कार्यालय को भी वर्षों पूर्व स्वयं जाकर दे आयें. सरकार के मुख्यमंत्री से लेकर मुखिया तक के तमाम जनप्रतिनिधि व पुलिस-प्रशासन के अधिकारी का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : वीके सिंह बनाए गए जमशेदपुर के एमवीआई, नौ दिन की ट्रेनिंग के बाद देंगे योगदान
बहदा की समस्या सबसे बड़ी समस्या : मधु कोड़ा
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने जोजोगुटू गांव में लगातार न्यूज से बातचीत में कहा कि वास्तव में बहदा गांव के लोगों की समस्या सबसे बड़ी समस्या है. बहदा गांव की सड़क और नाले पर पुल का निर्माण हेतु हमने चार बात तत्कालीन और वर्तमान उपायुक्त से मिलकर कहा है. सांसद गीता कोड़ा ने भी विभागीय मंत्री व उपायुक्त से कहा है, लेकिन आज तक सड़क नहीं बनना दुर्भाग्य व शर्म की बात है. जल्द ही इसके खिलाफ बड़ा कदम उठाया जायेगा.