- समाज में सदियों से चली आ रही है “दगना” अंधविश्वास
Kiriburu (Shailesh Singh) : अत्यंत नक्सल प्रभावित आदिवासी बहुल सारंडा जंगल स्थित कुदलीबाद गांव में ””दगना”” (लोहे को गर्म कर पेट में दागना) अंधविश्वास इस आधुनिक विज्ञान युग में भी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है. सारंडा के गांवों में चिकित्सा सुविधा का घोर अभाव है. यहां गरीबी, बेरोजगारी व यातायात की सुविधा नहीं है. इस कारण आज भी यहां अंधविश्वास और कुप्रथा अपनी जडे़ं जमाये हुये है. इसका ताजा मामला कुदलीबाद गांव का है. इस गांव का 19 वर्षीय युवक गुमीदा तोरकोड पिता ब्रजमोहन तोरकोड पिछले तीन माह से बीमार है. उसे भूख भी नहीं लगती है. वह खाना नहीं खा रहा है. इस कारण लगातार कमजोर होता जा रहा है. परिवार अत्यंत गरीब है. गुमीदा को अज्ञात बीमारी से बचाने हेतु परिजनों ने कुछ दिन पूर्व अंधविश्वास का सहारा लेते हुये लोहे को गर्म कर उसके पेट को दाग दिया. इससे गुमीदा के पेट में बड़ा जख्म हो गया है. इस घटना की जानकारी सारंडा के समाजसेवी संतोष कुमार पंडा को मिली तो उन्होंने तत्काल उस युवक को मेघाहातुबुरु बुलाया. उसके परिजनों को जागरुक किया. उसे इलाज के लिए जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन तत्काल इलाज के लिए एंबुलेंस से टाटा स्टील की नोवामुंडी अस्पताल में भेज रही हैं.
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