Kiriburu (Shailesh Singh) : पश्चिम सिंहभूम जिले का कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र का अत्यन्त नक्सल प्रभावित बुंडू गांव आज भी तमाम प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से कोशों दूर है. यह कहना गलत नहीं होगा की एक समय बुंडू गांव की भौगोलिक स्थिति एवं नक्सली गतिविधियों की वजह से पुलिस व सीआरपीएफ इस गांव में घुसने से पहले पूरी तैयारी करके जाती थी. यह गांव सामूहिक नरसंहार व अन्य क्रूर आपराधिक घटनाओं की वजह से हमेशा चर्चा में रहता था. लेकिन समय के साथ इस गांव के ग्रामीणों ने भी अपने आचरण में भारी बदलाव किया. अब पहले जैसी स्थिति नहीं रही है. इसका मुख्य वजह गांव की नयी पीढ़ी का शिक्षित होना एवं उनकी सोच में बदलाव होना है. बुंडू गांव के ग्रामीण लगातार न्यूज के संवाददाता से अपनी पीड़ा बताते हुये कहा कि हमें शासन-प्रशासन अपनाना व गोद लेना ही नहीं चाहता है. हम शासन के साथ घुलना-मिलना चाहते हैं.
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अगर शासन-प्रशासन हमें स्वीकार करती तो आज हमारा गांव बुनियादी सुविधाओं के मामले में अन्य गांवों की तुलना में सबसे ज्यादा पिछड़ा नहीं होता. बुंडू गांव के सहायक मुंडा राजेश पूर्ति, रवीन्द्र पूर्ति व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में 265 से अधिक परिवार हैं. बुंडू गांव कोल्हान जंगल का इतना बड़ा गांव है कि हमारे गांव के नाम पर पंचायत का नाम है. दुःख इस बात का है कि बुंडू पंचायत का पंचायत भवन हमारे गांव में न होकर बांकी गांव में बनाया गया है. पंचायत के निर्वाचित मुखिया जो बांकी गांव के हैं, वे चुनाव जीतने के बाद से चाईबासा में रहते हैं. कभी पंचायत के गांवों का दौरा नहीं करते और ग्रामीणों की सुधि भी नहीं लेते हैं. बुंडू गांव के ग्रामीण लगभग 25 किलोमीटर दूर लुईया गांव के टोयांउली टोला में जाते हैं. यहां लोग पैदल या साइकिल से जाते हैं. गांव में ही जनवितरण प्रणाली की दुकान देने की मांग प्रशासन से की गई है.
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बुंडू गांव से टोंटो थाना की दूरी है 65 किलोमीटर
बुंडू गांव से टोंटो थाना की दूरी 65 किलोमीटर है. यह पूरे भारत में अपवाद होगा. कोई भी ग्रामीण अपनी पीड़ा व समस्या की शिकायत दर्ज कराने कभी भी इतनी दूर थाना पैदल नहीं जा सकता है. गांव की घटना व शिकायत गांव में ही दबकर रह जाती है. सरकार इसके लिये रोवाम में थाना बनाये. बुंडू गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. कुछ घरों में सोलर से लाइट जलती है तो बाकी घरों में अंधेरा रहता है. गांव में पेयजल की बेहतर सुविधा नहीं है. 5 सोलर चालित जल मीनार से लोग पानी लेते हैं.
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हर घर जल योजना का लाभ तमाम घरों को मिलना चाहिए. गांव से सरकारी अस्पताल लगभग 30-40 किलोमीटर दूर मनोहरपुर या बड़ाजामदा में है. वहां जाने के लिये आवागमन की कोई सुविधा नहीं है. ग्रामीणों ने कहा कि नक्सलियों के भय से हमारे गांवों में पुलिस को छोड़ कभी भी प्रशासनिक अधिकारी व जनप्रतिनिधि नहीं आते हैं. हम लोग हर चुनाव में मतदान करते हैं, लेकिन कभी अपने गांव में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों व विकास कार्यों से जुड़े पदाधिकारियों को आते नहीं देखा.