Surjit Singh
दिल्ली बॉर्डर पर पुलिस जिस तरह सड़क पर दीवार बना रही है. दीवार पर फैंसिंग तार लगाये जा रहे हैं. सड़क पर कील गाड़ रहे हैं. वह क्या बताता है. क्या सत्ता कील तंत्र विकसित करने में लगा है. भीड़ तंत्र के बाद कील तंत्र. क्या सत्ता का मकसद पुलिस ताकत के बल पर देश को जेल में बदल देना है. तभी तो कभी बिजली काट दी जा रही, तो कभी पानी सप्लाई रोक दिया जा रहा. तो कभी घंटों के लिये इंटरनेट बंद कर दिया जाता है.
केरल पुलिस के पूर्व डीजीपी रिटायर आइपीएस एनसी अस्थाना ने 2 फरवरी को एक ट्वीट किया है. ट्वीट में उन्होंने लिखा हैः कानून-व्यवस्था की समस्या अस्थायी बैरिकेडिंग की मांग करती है. कंक्रीट का स्थायी बैरिकेडिंग बताता है कि सरकार लोगों को अपना गुलाम मानती है या फिर दुश्मन. दोनों ही स्थितियों में क्या हम इसे लोकतंत्र कह सकते हैं.
Law and order situations demand temporary barricading. Permanent concrete barricadings replete with spikes etc. become fortification. Fortifications mean the ruler is either AFRAID of the people or regards them as ENEMIES.
In both situations, can we call it a democracy?— Dr. N. C. Asthana, IPS (Retd) (@NcAsthana) February 2, 2021
पॉप गायिका रिहाना ने किसान आंदोलन को सपोर्ट किया करते हुए बात की. जिसके बाद ट्विटर पर पूरी दुनिया में इस आंदोलन की बातें होने लगी हैं. रिहाना के 100 मिलियन से अधिक ट्वीटर फॉलोअर हैं. पूरे विश्व में ट्विटर पर लोकप्रियता के हिसाब से पांचवें नंबर पर है. पर हमारा बॉलिवुड चुप है. हमेशा की तरह.
एंग्री यंग मैन से लेकर भाई जान तक. जिनके जुबान खुल भी रहें हैं तो सत्ता की भक्ति में ही. कंगना रनौत ने रिहाना के ट्वीट पर जो जवाब लिखा है, उसमें किसानों को आतंकवादी बताया है.
देश की मीडिया का एक बड़ा तबका (खासकर टीवी मीडिया) किसानों को कभी खालिस्तानी, कभी आतंकवादी, कभी दंगाई साबित करने का अभियान चला चुकी है. 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में भी टीवी मीडिया ने सिर्फ उपद्रव की तस्वीरें ही दिखायी. जिसका असर यह हुआ कि आंदोलन कर रहे किसान देश के लोगों की नजरों में विलेन बन गये. हालांकि विदेशी मीडिया में आंदोलन पर लगातार बड़ी खबरें चल रही हैं और आंदोलन को समर्थन भी मिल रहा है.