Vinit Upadhyay
Ranchi: कोरोना काल में भले ही झारखंड हाईकोर्ट में रेगुलर और फिजिकल काम नहीं हुआ, लेकिन वर्चुअल माध्यम से अदालती कामकाज हुआ और अदालत ने कई महत्वपूर्ण फैसले दिये. 2020 में जहां बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा, तो वहीं चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को तब राहत मिली, जब हाईकोर्ट ने उन्हें एक मामले में जमानत दे दी. अपनी पार्टी की ही तत्कालीन कार्यकर्ता के साथ रेप के मामले के आरोपी झारखंड के दागी विधायक ढुल्लू महतो को हाईकोर्ट से जमानत मिल गयी तो झारखंड के दो पूर्व मंत्रियों योगेंद्र साव और हरिनारायण राय को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली. आइये आपको बताते हैं कि पूरे विश्व और भारत के साथ-साथ झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश और अन्य अधिकारियों के कोरोना से जूझने के बावजूद हाईकोर्ट ने किन-किन चर्चित और महत्वपूर्ण मामले में क्या फैसला दिया-
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– बिहार के बाहुबली नेता और राजद के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को झारखंड हाईकोर्ट ने आरजेडी के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में राहत देने से इंकार करते हुए निचली अदालत द्वारा मुकर्रर उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा
– आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दोषी करार दिये गये पूर्व मंत्री हरिनारायण राय के मामले में भी हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसके बाद सीबीआई ने कुछ ही दिनों में हरिनारायण राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया
– बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को झारखंड हाईकोर्ट से वर्ष 2020 में एक मामले में राहत मिली, तो वहीं एक अन्य मामले में उनकी जमानत पर सुनवाई अभी लंबित है. हाईकोर्ट ने सजा की अवधि का आधा वक्त जेल में व्यतीत करने के आधार पर चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सशर्त जमानत दी.
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– वर्ष 2020 में झारखंड हाईकोर्ट की बृहद पीठ ने नियोजन नीति के मामले में एक ऐसा फैसला सुनाया जिसका इंतजार झारखंड के लाखों युवा कर रहे थे. झारखंड हाईकोर्ट ने नियोजन नीति को गलत करार देते हुए हजारों नियुक्तियां रद्द करने का आदेश पारित किया, जिससे सरकार और अभ्यर्थियों को झटका लगा और हजारों नौकरियां फंस गयीं.
– एनटीपीसी भूमि अधिग्रहण के दौरान हुए उपद्रव के आरोपी पूर्व मंत्री योगेंद्र साहू को भी करारा झटका लगा, जब हाईकोर्ट में योगेंद्र साहू को जमानत देने से इनकार कर दिया और अब उनका नया साल भी जेल की सलाखों के पीछे ही बीतेगा.
– 2020 के शुरुआती कुछ महीनों को छोड़ दें तो बाकी का पूरा साल कोरोना के साये में बीता. इस दौरान झारखंड हाईकोर्ट के कई न्यायाधीश, न्यायिक पदाधिकारी और हाईकोर्ट के सुरक्षाकर्मी भी कोरोना की चपेट में आये इसके बावजूद हाईकोर्ट ने न्याय की रफ्तार कम नहीं होने दी और पूरे कोरोना काल के दौरान समय-समय पर हाईकोर्ट राज्य सरकार के कार्यों और अन्य गतिविधियों की मॉनिटरिंग करता रहा, कोरोना काल में हाईकोर्ट ने कई मामलों में स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार को कोरोना से चल रही लड़ाई में बचाव के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिये.
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