Chibasa:- कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त डॉ. मनीष रंजन की उपस्थिति में “हो कजी पुडुवा” नामक पुस्तक का विमोचन किया गया. अर्जुन मुदुइया द्वारा लिखित पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में कोल्हान डीआईजी राजीव रंजन, कोल्हान विश्व विद्यालय के कुलपति गंगाधर पांडे, उपायुक्त अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक अजय लिंडा उपस्थित रहे.
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14 लाख से ज्यादा लोग करते है हो भाषा का प्रयोग
बता दें कि संपूर्ण झारखंड में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 14 लाख 21हज़ार 28 लोग हो भाषा का प्रयोग करते है. जिसको देखते हुए इस किताब की रचना की गई है गकस भाषा से सम्बंधित यह रचना अपने आप में अलग है. इसके पूर्व कई दशकों से धनुर सिंह पुरती की सहायता से फादर डेनी द्वारा लिखित ‘हो-इंग्लिश डिक्शनेरी’ कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित और काफ़ी लोकप्रिय रही है. लेकिन इस किताब के अंग्रेज़ी लिपि में होने के कारण “हो” शब्दों के उच्चारण में थोड़ी असहूलियत होती है.
प्राथमिक शिक्षा देवनगरी से शुरू होती है, इसलिए ‘हो-कजी पुडुवा’ में देवनगरी लिपि के प्रयोग से इस विसंगति को दूर करने की कोशिश हुई है. वस्तुतः इस शब्दकोश में संग्रहित ‘हो’ भाषा के शब्दों के अर्थ तीन भाषाओं – हो, हिंदी और अंग्रेज़ी में समाहित होने के कारण यह किताब उन बच्चों के लिए काफ़ी सहायक सिद्ध होगी, जिनकी पढ़ायी गाँवों से दूर शहरों में हुई है और वे अपनी मातृभाषा को बचपन में सीखने से वंचित रहे हैं.
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हो भाषा कोआठवीं अनुसूची में शामिल होने की सम्भावना
उनकी पकड़ हिंदी और अंग्रेज़ी में बेहतर होने के कारण वे हो शब्दों के अर्थ को तुरंत सीख पायेंगे. काफ़ी सारे शब्दों के साथ चित्रों के समावेश होने से इसके झारखंड लोक सेवा की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी में लगे परीक्षार्थियों के लिए “हो” भाषा विषय में यह काफ़ी मदद करेगी. भविष्य में “हो” भाषा के आठवीं अनुसूची में शामिल होने की सम्भावना है. उस समय संघ लोग सेवा की परीक्षा की तैयारी में भी यह बहुत काम आयेगी.
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इसे उत्कृष्ट बनाने की कोशिश जारी रहेगी
कोई भी किताब विशेष कर शब्दकोश प्रथम प्रयास में पूर्ण नहीं बन पाती. लेखक का हो साहित्य के साथ अभी हाल में रूबरू होने के कारण यह बात इस किताब पर भी लागू होती है. इसे उत्कृष्ट बनाने की कोशिश जारी रहेगी. हो’ शब्दों को देवनगरी लिपि के साथ-साथ वारंगक्षिति लिपि में लिखना अगला कदम होगा. इसके अलावा ऐप के माध्यम से हो भाषा के शब्दों को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए चेष्टा होगी.
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