Surjit Singh
घटनाक्रम
• मार्च महीने में तिरुपति मंदिर के प्रसादम बनाने के लिए खरीदी गई घी के पैकेट की जांच की गई. जांच में पता चला कि घी में जो फैट है, वह सिर्फ दूध का नहीं है. वह फैट सोयाबिन, पाम ऑयल का हो सकता है.
• जुलाई माह में मंदिर प्रशासन और सरकार के पास रिपोर्ट पहुंच गई.
• दो माह बाद सितंबर में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बयान दिया कि घी में जो फैट मिला है, वह बीफ का है. हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ किया गया. यह काम पूर्व की जगन मोहन रेड्डी सरकार के कार्यकाल में हुआ. यह वही वक्त है, जब हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव की प्रक्रिया शुरु हो गई थी.
• चंद्रबाबू नायडू के बयान के बाद वहां के सुपर स्टार अभिनेता और उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण सक्रिय हुए. उन्होंने कहा कि वह प्रायश्चित करेंगे. इतना ही नहीं उनका एक बयान यह भी आया कि अगर ऐसी घटना मुस्लिम या क्रिश्चयन धर्म के साथ हुआ होता तो देश में हंगामा खड़ा हो जाता. उन्होंने हिन्दुओं से आह्वान किया कि वह विरोध में सड़क पर उतरे.
• पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि कोई गड़बड़ी नहीं है. उन्होंने नायडू के बयान के टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाया.
घटनाओं का असर
• घी में बीफ फैट होने की खबर देशभर में तेजी से फैली. मीडिया, खासकर टीवी मीडिया ने इसपर लगातार बहस की.
• सोशल मीडिया पर देशभर के लोगों ने इस कुकृत्य को लेकर निंदा की, गुस्सा जाहिर करने लगे. देखते-देखते यह देश का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया.
• आईटी सेल सक्रिय हो गया. जिस कंपनी ने घी सप्लाई किया था, उसके मालिक को मुस्लिम बताया जाने लगा. ऐसा करने के लिए उसी नाम से पाकिस्तान में रजिस्टर्ड एक कंपनी के नाम का सहारा लिया गया.
सच क्या है
• मंदिर प्रशासन ने पहले ही स्पष्ट किया था कि जिस घी की जांच की गई है, उससे प्रसादम बना ही नहीं था.
• 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रबाबू नायडू को फटकार लगायी और यह सवाल किया कि जब यह तय ही नहीं हुआ है कि घी में जो फैट मिला है, वह पाम ऑयल, सोयाबिन या बीफ की, तो उन्होंने मीडिया में गैर जिम्मेदाराना बयान क्यों दिया.
• सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि जिस घी को जांच के लिए भेजा गया था, उससे प्रसादम तैयार ही नहीं किया गया था. यानी लड्डू बना ही नहीं थी. फिर चंद्रबाबू नायडू ने यह क्यों कहा कि हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ हुआ.
घटनाक्रम, घटनाओं का असर व प्रतिक्रिया और सच सामने आने के बाद क्या यह सवाल नहीं उठना चाहिए कि क्या यह सब देश के माहौल को खराब करने के लिए किया गया. दो राज्यों में चुनाव के वक्त एक सोची-समझी रणनीति के तहत तो नहीं किया गया. राजनीतिक लाभ के लिए देश को जलाने की कोशिश की गई. यह तो हमें कभी भी पता नहीं चलेगा. क्योंकि ना तो चंद्रबाबू नायडू और ना पवन कल्याण सफाई में कुछ कहेंगे. ना ही दोनों माफी मांगेंगे. ना ही आईटी सेल इसे लेकर कुछ बोलेगा. ना ही इनके खिलाफ कोई जांच होगी और ना ही अदालत जांच के लिए मजबूर करेगी. अगले कुछ दिनों में यह मुद्दा आया-गया हो जायेगा. पर, एक सच यह तो है कि हिन्दु धर्म के नाम, हिन्दुओं को भड़काने के लिए, हिन्दुओं को सड़क पर विरोध प्रदर्शन के लिए उतारने के लिए ही यह सब किया गया. इसके लिए जो भी जिम्मेदार हो, उसे सजा जरुर मिलनी चाहिए.
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