Jamshedpur (Ashok kumar) : पलामू जिले में झारखंड जनमुक्ति परिषद के एरिया कमांडर महेश भुइयां को मुठभेड़ में मार गिराने वाले पलामू के तत्कालीन एएसपी के विजय शंकर को वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा. यह पुरस्कार कुल 14 पुलिसकर्मियों को देने की घोषणा की गयी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पदक पाने वाले सभी पुलिस पदाधिकारियों और कर्मियों की सूची जारी कर दी है. के विजय शंकर वर्तमान में जमशेदपुर में सिटी एसपी के रूप में पदस्थापित हैं.
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गढ़वा जिले का था महेश भुइयां
इनामी एरिया कमांडर महेश भुइयां मूलरूप से गढ़वा जिले के रक्सी गांव का निवासी था. घटना 25 फरवरी 2021 की है. रामगढ़ थाना क्षेत्र के चोरहट गांव में अचानक से मुठभेड़ शुरू हो गयी थी. मुठभेड़ में पुलिस बल का नेतृत्व खुद के विजय शंकर कर रहे थे. वीरता के लिये पुलिस पदक इंसपेक्टर लालेश्वर महतो, एसआइ सुशील टुडू, रामगढ़ के थाना प्रभारी एसआइ प्रभात रंजन राय, एसआइ फगुवा होरो, एसआइ रामेश्वर भगत, आरक्षी रंजीत कुमार, छोटे लाल कुमार आदि को दिया जायेगा. इसके अलावा छह पुलिसकर्मियों को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गयी है.
सिटी एसपी के जेहन में अब भी है उस दिन की घटना
सिटी एसपी के विजय शंकर ने लागातार न्यूज से बातचीत में बताया कि वे 25 फरवरी 2021 की घटना को अब भी नहीं भुल सके हैं. घटना के दिन वे भोजन करने के लिये घर पर आये हुये थे. इस बीच ही सूचना मिलते ही चोरहाट जंगल अपने चार बॉडीगार्ड के साथ पहुंचे थे. रास्ते में थाना प्रभारी व अन्य 2-3 पुलिस वाले को साथ लिया था. महेश भुइयां पहले सीपीएम में था. बाद में वह एरिया कमांडर बना था. गढ़वा और पलामू में उसकी खूब चलती थी. रंगदारी मांगना, मारपीट करना, किसी को गोली मार देना आम था. चोरहाट जंगल में घुसते ही एक ने पुलिस टीम को देख लिया था. पहले उधर से ही फायरिंग हुई थी. उसके बाद पुलिस की ओर से बचाव के लिये फायरिंग की गयी थी. काफी देर तक दोनों तरफ से फायरिंग हुई थी. सर्च ऑपरेशन के दौरान पता चला था कि एरिया कमांडर उमेश मुठभेड़ में मारा गया है.
आंध्रप्रदेश के रहने वाले हैं अपने सिटी एसपी
जमशेदपुर के सिटी एसपी के विजय शंकर मूलरूप से आंध्रप्रदेश के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम वी कामराज है. वे भी आइपीएफ थे. के विजय शंकर पहले सीमा सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट थे. उस नौकरी में उन्हें मन नहीं लगता था. दूसरी बार उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और आइपीएस बन गये. शुरूआती दौर से लेकर आज तक उनके पिता ने उन्हें पूरा सहयोग किया और प्रोत्साहित किया.
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