Lakhisarai : बिहार के लखीसराय के कलेक्टर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें डीएम सरकारी स्कूल के शिक्षक को फटकार लगा रहे है. इस वीडियो को लेकर लोग दो हिस्सों में बंट गये है. जहां एक हिस्सा कलेक्टर की कार्रवाई की तारीफ कर रहा है, वहीं दूसरा हिस्सा इसकी आलोचना कर रहा है. दरअसल बताया जा रहा है कि लखीसराय के डीएम संजय कुमार जिले के बालगुदर में स्थित एक स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचे थे. स्कूल में खामियों को देखते हुए कलेक्टर ने शिक्षक के कड़ी फटकार लगायी. साथ ही उन्होंने टीचर की वेश-भूषा पर भी टिप्पणी की. दरअसल शिक्षक ने कुर्ता-पायजामा पहन रखा था और कंधे पर गमछा लिया हुआ था. पढ़ें – दो दिनों बाद शेयर बाजार में रौनक, सेंसेक्स 204 अंक चढ़ा, एचसीएल टेक के शेयर 2.20 फीसदी लुढ़के
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बिजली होने के बावजूद अंधेरे में पढ़ रहे थे बच्चें
डीएम ने बताया कि वो बालगुदर कन्या विद्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे. जहां स्कूल में बिजली की सुविधा होने के बावजूद क्लासरूम में बल्ब तक नहीं लगा हुआ था. बच्चे अंधेरे में पढ़ाई कर रहे थे. जब टीचर से इस बात को लेकर सवाल किया गया तो वह ठीक तरीके से जवाब नहीं दे सके. जिसपर डीएम भड़क गये और टीचर को कहा कि आपके पहनावे को देखकर नहीं लग रहा कि आप शिक्षक है. बल्कि जनप्रतिनिधि लग रहे हैं. जिसकी आलोचना किया जा रहा है.
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1 घंटे तक स्कूल का किया निरीक्षण
डीएम ने बताया कि हमलोगों ने 1 घंटे तक उस स्कूल का निरीक्षण किया था. निरीक्षण के दौरान हमने पाया कि हेडमास्टर के द्वारा स्कूल में जो व्यवस्था की जानी चाहिए थी, वह ठीक तरीके से नहीं की गई थी. उन्होने बताया कि निरीक्षण के अंतिम समय में जब हमलोग स्कूल से निकल रहे थे तो हमने देखा कि हेडमास्टर के कुर्ते का बटन खुला हुआ है और कंधे पर गमछा रखे हुए हैं. हमलोगों ने कुर्ता ठीक करवाया और गमछा हटवाया.
डीएम ने कहा कि हमने उनसे यही कहा कि आपका पोशाक कहीं से शिक्षक का नहीं लग रहा है. शिक्षक समाज के लिए आदर्श होते हैं. छात्र उनको अपना आदर्श मानते हैं. कुर्ता-पायजामा से हमारा कोई विरोध नहीं है. हमने बस उनसे इतना कहा कि आपको इस तरह से रहना चाहिए कि लोगों के बीच आदर्श स्थापित हो सके.
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स्कूल में पढ़ रही बच्चियां पसीने से तर-बतर थीं
कलेक्टर संजय सिंह ने आगे बताया कि स्कूल में पढ़ रही बच्चियां पसीने से तर-बतर थीं, इसीलिए हमलोगों ने नाराजगी जाहिर की थी. कोरोना संक्रमण के चलते एक साल विकास फंड का पैसा नहीं आया था. उससे पहले विकास फंड का पैसा आया था. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऐसा लगता है कि उन पैसों का या तो अपव्यय हुआ या फिर उसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया. डीएम ने कहा कि कक्षा में बच्चियों के बैठने के लिए बेंच तक नही थी और न ही दरी की व्यवस्था की गई थी. इस पर हमलोगों ने हेडमास्टर से पूछा कि स्कूल में यह किस तरह की अव्यवस्था कायम है?
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