Bokaro : बोकारो जिले में जमीन दलालों की सक्रियता इन दिनों काफी बढ़ गयी है. इन धंधेबाजों ने वन विभाग और डीपीएलआर की जमीन तक को निजी बताकर बेच दिया है. चास अंचल के बांधगोड़ा मौजा की खाता संख्या 28, प्लाट संख्या 978 की जमीन इसका जीता-जागता नमूना है. पुरुलिया कोर्ट में दायर टाइटिल सूट 46/1953 के जरिये इस जमीन का बंटवारा ज्योतिलाल व सर्वानंद महथा तथा विद्याधर महथा के बीच हुआ. इसमें ज्योतिलाल व सर्वानंद महथा को 18.97 एकड़ जमीन मिली जबकि विद्याधर महथा को 2.91 एकड़ जमीन मिली है.
ज्योतिलाल और सर्वानंद ने 1958 से 1991 के बीच अपनी 18.97 एकड़ में से 16.60 एकड़ जमीन विभिन्न लोगों के साथ-साथ वन विभाग व डीपीएलआर को बेच दी. इसके बाद उनके पास 2.97 एकड़ ही जमीन बची. लेकिन जमीन दलालों ने उनसे 2.37 एकड़ की जगह 6 एकड़ की पावर अटार्नी ले ली. फिर इस जमीन को 20 एकड़ बनाकर बेच दी. विद्याधर महथा ने अपनी जमीन किसी को नहीं बेची थी, लेकिन दलालों ने खाता संख्या 28, प्लाट संख्या 978 की 20 एकड़ जमीन बेच डाली. इस बारे में पूछे जाने पर ऐसा कोई मामला संज्ञान में नहीं आया है. यदि ऐसा होगा, तो कार्रवाई की जायेगी.
जानिए किस डीड से कितनी बेची गयी जमीन
डीड नंबर 7166 से मौजा बांधगोड़ा में खाता संख्या 28, प्लॉट 978 में से डीड नंबर 7167 से 6 डिसमिल, डीड नंबर 7168 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 7169 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 7170 से 6 डिसमिल, डीड संख्या से 6 डिसमिल, डीड संख्या 7171 से 6 डिसमिल, डीड संख्या 7859 में 12 डिसमिल, डीड संख्या 7860 से 10 डिसमिल, डीड संख्या 7861 से 10 डिसमिल और डीड नंबर 7862 से 10 डिसमिल जमीन चंद्रदीप ने विभिन्न लोगों को बेच दी है.
इसे भी पढ़े : देशद्रोह कानून पर SC ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा, औपनिवेशिक काल के कानून के दुरुपयोग पर चिंता जतायी
फर्जी दस्तावेजों पर बेच दी सरकारी जमीन
जाली रसीद, वन विभाग के जाली एनओसी और गलत नक्शा के आधार पर 113 लोगों को जमीन बेच दी गयी. दूसरी तरफ कागजों पर 4.76 एकड़ वनभूमि और डीपीएलआर की 3.98 एकड़ भूमि भी दलालों ने बेच डाली.
इसे भी पढ़े : KL Rahul ने Athiya shetty के साथ अपने रिश्ते पर लगाई मुहर
महोदय जालसाजी चरम सीमा पर है जिसकी जानकारी जिला प्रशासन को है झारखंड सरकार के प्रधान सचिव के निर्देश पर आयुक्त हजारीबाग ने भी जालसाजी की पुष्टि की है वहीं पर निवर्तमान उपायुक्त श्री मुकेश कुमार ने इन भू माफिया के ऊपर दो बार सरकारी f.i.r. संगीन धाराओं में कराया है भू माफिया के ऊपर पुलिस इस कदर मेहरबान है कि वह आए दिन जिला और थाना में देखा जाता है ट्विटर पर व्हाट्सएप पर लिखित रूप से हम लोगों के द्वारा कई बार सूचना दी गई परंतु इस माफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी साथ ही वन भूमि एवं डीटएलआर की भूमि अवैध जमाबंदी सृजन करने में कई अंचलाधिकारी राजस्व उपनिरीक्षक राजस्व निरीक्षक दोषी पाए गए हैं अनुमंडल पदाधिकारी ने प्राथमिकी दर्ज करने की बात कही थी वह भी अभी ठंडे बस्ते में रखा गया है और सोसाइटी की जमीन जो 5 एकड़ है उसका बाजार मूल्य बहुत ही कम है अभी के रेट में 20 करोड़ रुपया है