Patna: पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की ओर से नियोजित शिक्षक अब निर्धारित तिथि तक अपने शैक्षणिक दस्तावेज जमा नहीं कराते हैं, तो उनकी नौकरी चली जाएगी. ऐसे शिक्षकों की संख्या सवा लाख के करीब है. उनसे दस्तावेजों की मांग सन् 2016 से की जा रही है. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गुरुवार को कहा कि उन शिक्षकों के लिए यह आखिरी मौका है. अगर निर्धारित तारीख तक जरूरी दस्तावेज जमा नहीं हुए, तो सरकार नियमानुकूल निर्णय लेगी.
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नियोजन में फर्जीवाड़े की चल रही जांच
बिहार में 2006 से 2015 के बीच पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों की ओर से बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन हुआ था. इस नियोजन प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगे. यह भी कि अयोग्य लोगों को शिक्षक बना दिया गया. प्रमाण पत्रों की हेराफेरी का मामला हाई कोर्ट में गया. हाई कोर्ट ने निगरानी विभाग को जांच का आदेश दिया. उसी समय से जांच शुरू हो गई. पहले ही इस नियोजन प्रक्रिया से भर्ती कई शिक्षक अपनी नौकरी गंवा चुके हैं. समय-समय पर अलग-अलग शिकायतों की जांच में गड़बड़ी के ढेरों मामले सामने आने के बाद सरकार ने पूरी नियोजन प्रक्रिया की स्क्रीनिंग कराने का फैसला किया था.
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शैक्षणिक दस्तावेज जमा कराएं, नहीं तो जाएगी नौकरी
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि, 2006 से 2015 के बीच की अवधि में करीब पौने चार लाख शिक्षक नियोजित हुए. पांच साल बीत जाने के बाद भी करीब ढाई लाख शिक्षकों के ही शैक्षणिक दस्तावेज उनके फोल्डर में जमा हो पाए. मामला निगरानी विभाग के पास है. निगरानी विभाग शिक्षकों के बदले उन्हें नियोजित करने वाले प्राधिकारों से दस्तावेजों की मांग कर रहा है. विभाग ने शिक्षकों को दस्तावेज जमा करने के लिए आनलाइन का विकल्प भी दिया है. 20 जुलाई से पहले शिक्षक आनलाइन दस्तावेज जमा कर सकते हैं.
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