खेतों में जुताई तक भी नहीं कर पाये हैं किसान
Sunil Kumar
Latehar : जिले की 80 फीसदी अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है. लातेहार में अधिकांश किसान अपनी खेतों में फसल नहीं लगा सके हैं. वर्षा की कमी के कारण किसान खेतों की पहली जुताई(फारन) तक नहीं कर पाये हैं. बताया जाता है कि इस वर्ष औसत से 30% भी बारिश नहीं हुई है. जिसकी वजह से खेती का काम पूरी तरह प्रभावित है. कृषि पर आधारित खाद-बीज की दुकानों पर भी किसानों की भीड़ नहीं के बराबर है. अधिकांश किसान वर्षा की आशा छोड़ चुके हैं. स्थानीय मजदूर तो पलायन कर चुके हैं. खेतों में पानी के अभाव में दरारें पड़ी हुई है. कृषि के जानकारों का कहना है कि सावन के महीना में ऐसी स्थिति वर्ष 1967 के देशव्यापी अकाल के वक्त हुई थी. पिछले वर्षों में सावन में इस वर्ष की अपेक्षा 10 गुना अधिक बारिश होते रही है, लेकिन इस बार खंडवृष्टि के कारण कई क्षेत्रों में तो सावन की पहली फुहार भी नहीं बरस पायी है. कृषि पर आधारित लातेहार जिला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. किसान अब खेती का भरोसा भी छोड़ चुके हैं. धान के बिचड़े खेतों में सूख चुके हैं. किसी किसी क्षेत्र में अरहर की बुवाई का काम हो रहा है. किसानों का कहना है कि अरहर की खेती के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है. इसलिए वे धान न लगाकर अरहर लगा रहे हैं.
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क्या करते हैं कृषि विशेषज्ञ
कृषि विशेषज्ञ मनोहर कुमार पाल का कहना है कि अब यदि वर्षा होगी भी तो धान की फसल पुष्ट नहीं हो पाएगी और समय पर तैयार भी नहीं हो पाएगी. उन्होंने कहा कि अब वर्षा होने का मतलब ” का वर्षा जब कृषि सुखाने” वाली कहावत चरितार्थ होगी.
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