LagatarDesk: अश्वगंधा आयुर्वेद की सबसे प्रसिद्ध जड़ी-बूटियों में एक है. ऐसा इसकी खूबियों और उपयोग में आसान होने के कारण है. अश्वगंधा के पौधे से अश्व यानी घोड़े के मूत्र और पसीने जैसी दुर्गंध आती है, इसलिए इसका नाम अश्वगंधा पड़ा. अश्वगंधा के पौधे के दो तरह के होते हैं- एक छोटी झाड़ी और दूसरी बड़ी झाड़ियां. छोटी झाड़ियां ज्यादातर राजस्थान के नागौर जिले में पायी जाती है. इसकी जड़ें बड़ी होती हैं. बड़ी झाड़ियां पहाड़ी इलाके में पायी जाती हैं. इसकी जड़ें छोटी और पतली होती हैं.
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जानें क्यों अश्वगंधा की चाय पीना है सेहतमंद
सर्दियों में अश्वगंधा का सेवन अधिक लाभकारी है. इसे दवाई के रुप में भी लिया जाता है. तासीर गर्म होने का कारण यह शरीर में आवश्यक मात्रा में पित्त की वृद्धि करता है, जिससे सर्दियों में ठंड नहीं लगती है. बाजार में अश्वगंधा पाउडर और जड़ के रूप में मिलता है.
अश्वगंधा की चाय का सेवन करें रोजाना
अश्वगंधा का सेवन चाय के रूप में करें. इसकी चाय बनाने के लिए 2 कप पानी में 1 टी-स्पून अश्वगंधा पाउडर डालें और उसे धीमी आंच पर उबालें. इसे आधा होने तक पकायें. इसमें मिठास के लिए चीनी या गुड़ के बजाय शहद का प्रयोग कर सकते हैं. क्योंकि गुड़ की तासीर भी गर्म होती है. अश्वगंधा की जड़ से भी चाय बनायी जाती है. जिन लोगों को ठंड अधिक लगती है और बार-बार सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार आदि की समस्या होती है, उन्हें अश्वगंधा की चाय का नियमित सेवन करना चाहिए.
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