Krishnan Iyer
नेहरुजी ने LIC को केवल 5 करोड़ से स्थापित किया था और आज LIC के पास 32 लाख करोड़ के एसेट है. LIC सालाना लगभग 6 लाख करोड़ कमाती है. LIC बेचने की तैयारियां शुरू हो चुकी है. LIC एक्ट में लगभग 27 संशोधन प्रस्तावित किये गये हैं. टेक्निकल बातों से दूर रह कर मोदी सरकार LIC को बेचने के जो कारण बता रही है. उसपर चर्चा करने की जरुरत है.
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने LIC को “Sovereign Guarantee” दी थी. ताकि गरीब जनता का भविष्य निर्माण हो सके. पर LIC ने कभी गारंटी का इस्तेमाल नहीं किया. ये LIC की मजबूती बताने के लिए काफी है. बेचने की क्या जरूरत?
जीवन बीमा क्षेत्र में LIC का महत्व
– 74% मार्केट शेयर LIC का है.
– कम प्रीमियम में ज्यादा इंश्योरेंस कवर. यानी गरीब, मध्यमवर्गीय जनता की कंपनी.
– 40 करोड़ पॉलिसी धारक.
– पॉलिसी की वैरायटी सबसे ज्यादा.
– 98% क्लेम सेटलमेंट, विश्व रिकॉर्ड है.
– प्राइवेट में बेस्ट क्लेम सेटलमेंट 70% है.
अगर आप LIC के पॉलिसी धारक नही हैं, तो भी LIC आपके भविष्य निर्माण में काम कर रही है. क्योंकि LIC ने अपने इंश्योरेंस एसेट का 75% भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया हुआ है. और ये नीति भी नेहरुजी की ही बनाई हुई थी.
LIC एक ऐसी सरकारी कंपनी है, जिसमें निवेश कर देश के करोड़ों पिताओं ने अपनी बेटियों की शादी की है. LIC महिला सशक्तिकरण आंदोलन का हिस्सा भी है.
5 करोड़ का बीज आज 32 लाख करोड़ का “महावृक्ष” है. इस महावृक्ष की छांव में देश का विकास हुआ. मोदी सरकार, अब ये वृक्ष ही काट डालेगी.
LIC बेचने के तर्क अजीब हैं
पहली – LIC बेचने से विदेशी पूंजी आएगी : ये तो वैसी ही बात है कि घर की बहू-बेटी की इज्जत बेचने से ख़रीददार आएंगे. प्राइवेट इंश्योरेंस में FDI तो आ ही रही है. किसी ने आपत्ति नहीं की. तो LIC को विदेशी पूंजी की क्या जरूरत है? LIC भारत सरकार के टोटल कर्ज का 20% से 25% हिस्सा देने की क्षमता रखती है. LIC अपनी कमाई का 75% भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करती है. PSU के फंड का मुख्य सोर्स LIC ही है. LIC को विदेशी पूंजी की क्या जरूरत है? तो क्या LIC में 51% से ज्यादा विदेशियों को बेचना है?
दूसरी – LIC शेयर बाजार में लिस्ट होने पर कामकाज में पारदर्शिता आएगी : बकवास. आजतक किसी ने LIC की पारदर्शिता पर सवाल नहीं उठाया. अगर LIC की पारदर्शिता पर सवाल उठेगा, तो सेना की पारदर्शिता पर सवाल उठाना कैसे गलत है? स्ट्रेटेजिक कंपनी की पारदर्शिता सरकार तक सीमित होती है.
शेयर बाजार की कंपनियों का क्या हाल है. अगर पारदर्शिता ही मापदंड है तो मोदी सरकार के आने के बाद NPA 2.5 लाख करोड़ से बढ़ कर 25 लाख करोड़ कैसे हो गया? शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां एक के बाद एक कैसे डूब गई?
तीसरी – LIC बेचने से आम निवेशकों को फायदा होगा : वो कैसे? जो निवेशक है वो नागरिक भी है. देश में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है. लोगों ने अपनी बचत निकाल ली है. भारत में देशी/विदेशी निवेश सर्वनिम्न स्तर पर है. ये उचित समय ही नहीं है. जनता ने PF से पैसे निकाल कर घर चलाया है. तो ये आम निवेशक कौन है? देश में हाउसहोल्ड सेविंग्स वर्ष 2004 से नीचे जा चुकी है. जब सेविंग्स ही खत्म है तो निवेश कहां से आएगा?
इस तरह LIC को बेचने का कोई लॉजिक नहीं है. ये नोटबंदी जैसा घोटाला और साजिश है. आज जो तर्क दिए जा रहे हैं, सब धरे के धरे रह जाएंगे. LIC खत्म हो जाएगी और आप देखते रह जाएंगे.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.