New Delhi : साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने रांची समेत देश के छह शहरों राजकोट (गुजरात), रांची (झारखंड), इंदौर (मध्य प्रदेश), चेन्नई (तमिलनाडु), अगरतला (त्रिपुरा) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) का चयन लाइट हाउस टेक्नोलॉजी के पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया था.
इस प्रोजेक्ट के तहत रांची में 300-300 वर्गमीटर के कुल 1008 फ्लैट का निर्माण होना था. इसके लिए झारखंड के तत्कालीन नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने केंद्रीय शहरी विकास एवं आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के समक्ष एमओयू किया था, लेकिन अब यह प्रोजेक्ट बंद हो गया है.
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बजरा और एचइसी में चुनी गयी थी जमीन
कम लागत और नयी तकनीक से बनाये जानेवाले इन आवासों के निर्माण के लिए केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने देश के छह शहरों का चयन लाइट हाउस टेक्नोलॉजी के पायलट प्रोजेक्ट के तहत किया था. इनके निर्माण के लिए नगर विकास विभाग ने केंद्र सरकार के साथ एमओयू करने के बाद दो जगहों बजरा में पांच एकड़ और एचइसी में 5.8 एकड़ जमीन चुनी थी. फिर भी प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ा. अब नगर विकास विभाग ने बीते एक साल से लाइट हाउस प्रोजेक्ट की कोई सुध नहीं ली है. प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन झारखंड में बंद हो गया है.
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विदेशी तकनीक से बनाये जाने थे भवन
विदेशी तकनीक से भवनों का निर्माण करने का यह भारत में पहला प्रोजेक्ट है. इन फ्लैट्स को बनाने में बीम या ढलाई का इस्तेमाल नहीं होता. फैक्ट्री में तैयार हिस्सों को सीधे निर्माण स्थल पर असेंबल कर ऐसे फ्लैट्स का निर्माण किया जाता है. इस योजना से गरीबों को महज 10 लाख रुपये में आधुनिक सुविधा वाले मकान मिल सकते थे. साथ ही लाभुकों के लिए कर्ज की व्यवस्था भी बैंकों से करायी जानी थी. एमओयू के मौके पर सचिव ने कहा था कि लाइट हाउस प्रोजेक्ट के साथ वहां रहने वालों की सुविधा के लिए सामुदायिक भवन, पार्क, दुकान, सड़क-बिजली, पानी सीवरेज ड्रेनेज की भी व्यवस्था की जायेगी. साथ ही छोटा पार्क भी बनाया जायेगा, ताकि बच्चे खेलकूद सकें. मालूम हो कि नगर विकास विभाग की एजेंसी जुडको ने आरएस अग्रवाल कंस्ट्रक्शन को बजरा में पहले ही जी प्लस 8 बिल्डिंग बनाने का ठेका दिया था. उसी को लाइट हाउस प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाना था.
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