Soumitra Roy
कोविड वायरस के जिस नए स्ट्रेन B.1.1.7 को लेकर हड़कंप मचा है, वह सिर्फ ब्रिटेन और यूरोप के 4 देशों में ही नहीं है.यही स्ट्रेन ऑस्ट्रेलिया में भी मिला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह स्ट्रेन दुनिया के बाकी हिस्सों में भी हो सकता है.आम कोविड वायरस के मुकाबले 70% तेज़ी से फैलने वाला यह स्ट्रेन ब्रिटेन में कोविड-19 वायरस को भी बदल रहा है.
इसमें एक साथ कई प्रोटीन के स्पाइक हैं. WHO यह भी कह रहा है कि B.1.1.7 मौजूदा कोविड वायरस के मुकाबले कहीं जल्दी बदलेगा.B.1.1.7 के साथ चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि इसे इंसानी शरीर की कोशिकाओं में घुसने में देर नहीं लगती.मुझे भारत के स्वास्थ्य मंत्री पर दया आती है, जिन्होंने मार्च में कहा था कि कोविड 19 कोई हेल्थ इमरजेंसी नहीं है.
आज उन्होंने कहा कि हम तैयार हैं. स्वास्थ्य मंत्री यह भी कह रहे हैं कि जनवरी में वैक्सीन आ जाएगी. लेकिन WHO ने साफ कर दिया है कि B.1.1.7 के आने से अभी यह कह पाना मुश्किल है कि इसके चंगुल में आने वाले पर वैक्सीन का क्या असर होगा.
B.1.1.7 के साथ एक बात अच्छी दिख रही है कि इसके शिकार लोगों में कोविड के लक्षण घातक नहीं हैं. हालांकि, कुछ वैज्ञानिकों ने इसे ग़लत बताया है. उनका कहना है कि B.1.1.7 के असर के बारे में हम कुछ नहीं जानते.सार्स कोविड वायरस के जेनेटिक कोड में 30 हज़ार अक्षर हैं. इन्हें सामान्य कोविड जांच में नहीं पढ़ा जा सकता.यानी RT-PCR टेस्ट में B.1.1.7 को नहीं पकड़ सकते.
ब्रिटेन के केंट में 20 सितंबर को B.1.1.7 का जन्म हुआ और 2 महीने में इसने 28% आबादी को अपना शिकार बना लिया. 9 दिसंबर तक ब्रिटेन की 62% आबादी इसकी चपेट में आ चुकी है.ब्रिटेन दुनिया भर से कट चुका है. फ्लाइट बंद हैं. भारत ने तो 21 दिसंबर को ब्रिटेन की फ्लाइट बंद की है. यानी हम और पूरी दुनिया देर से जागी है.भारत सरकार ब्रिटेन और यूरोप से आने वालों को आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए भेजने की बात कही है.
भारत में 3 अलग-अलग स्थानों के RT-पीसीआर टेस्ट के नतीजे अलग मिले हैं. यानी सरकार और देश के कोविड रेस्पॉन्स तंत्र पर आप भरोसा नहीं कर सकते. भारत में आप अपने जीवन पर भी भरोसा नहीं कर सकते.भरोसा सिर्फ खुद पर, अपने घर पर कर सकते हैं. लंदन में लॉक डाउन लग चुका है. आगे शायद दुनिया की बारी है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.