– मुख्यमंत्री पलायन के मुद्दे पर आयोजित वेबीनार में हुए शामिल
Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि लॉकडाउन ने हमें दिखा दिया कि माइग्रेशन कितना महत्वपूर्ण मुद्दा है. कोरोना महामारी के समय प्रवासी मजदूरों की स्थिति सबने देखी. किस तरह की परेशानियों का उन्हें सामना करना पड़ा यह सभी जानते हैं. इसलिए मजदूरों की सुरक्षा और अधिकार सुनिश्चित करने के लिए हम सभी को प्रयास करना होगा. मुख्यमंत्री शुक्रवार को माइग्रेशन मुद्दे पर आयोजित वेबीनार में बोल रहे थे.कार्यक्रम का आयोजन द इंडियन एक्सप्रेस और ओमिडयर नेटवर्क इंडिया की ओर से किया गया था.
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सरकार ने मजदूरों की समस्या को गंभीरता से लिया
हेमंत सोरेन ने कहा कि माइग्रेशन के अलग-अलग पहलू हैं. उसमें सबसे महत्वपूर्ण पहलू माइग्रेशन का करोड़ों मजदूर भाइयों-बहनों, बच्चे-बूढ़े और मजदूर परिवारों के साथ जुड़ा होना है. लॉकडाउन के समय मजदूरों का पलायन आजादी के बाद का सबसे बड़ा पलायन बन गया था. झारखंड सरकार ने मजदूरों की समस्या को गंभीरता से लिया. दस लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों के साथ संपर्क साधा गया. सरकार ने 8.5 लाख से अधिक मजदूरों को वापस लाने का इंतजाम किया. केवल ट्रेन से ही नहीं हवाई जहाज से भी मजदूरों को वापस लाया गया.
भोजन और रोजगार का किया इंतजाम
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड एक गरीब राज्य है. लॉकडाउन में मजदूरों की स्थिति दयनीय थी. सरकार ने प्रत्येक पंचायत में मुख्यमंत्री दीदी किचन के माध्यम से करोड़ों लोगों को घर पर भोजन का इंतजाम कराया गया. लोगों को रोजगार मिले, हाथ में पैसा आए, इसके लिए मनरेगा योजना को युद्ध स्तर पर शुरू कराया गया. तीन नई योजनाओं को जोड़ा गया और प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया गया. जिससे अर्थव्यस्था पटरी पर आ सके.
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केंद्र सरकार मनरेगा मजदूरी बढ़ाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में इतिहास में पहली बार मनरेगा के तहत ग्रामीण स्तर पर इतना रोजगार प्रदान किया गया. मनरेगा के तहत हमने नौ करोड़ मानव दिवस सृजित किए, जिसे 11 करोड़ ले जाने का लक्ष्य है.
मगर झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े व गरीब राज्यों में मनरेगा मजदूरी 200 रुपये भी पार नहीं कर पाया है. वहीं कुछ राज्यों में 250 रुपये से ऊपर है. हमने केंद्र सरकार से मनरेगा मजदूरी बढ़ाने का आग्रह किया है. लेकिन ताज्जुब है कि केंद्र सरकार ने इस साल के बजट में मनरेगा के बजट करीब 38,500 करोड़ रुपये कम कर दिया है.
युवाओं को रोजगार से जोड़ना प्राथमिकता
हेमंत सोरेन ने कहा कि युवाओं को रोजगार से जोड़ना सरकार की प्राथमिकता है. सखी मंडल के माध्यम से महिलाओं को सशक्त व स्वावलंबी बनाया जा रहा है. पशुधन योजना शुरू की गई है. राज्य में कई मजदूर ऐसे हैं, जो अब वापस दूसरी जगह काम के लिए नहीं जाना चाहते हैं. इसलिए मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना शुरू की गई है.
मजदूरों का असुरक्षित पलायन रोकना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि मजदूरों का पलायन हमेशा असुरक्षित रहा है. हमने लेह-लद्दाख जैसे दूरस्थ जगहों पर काम करने गए झारखंड के मजदूरों की दयनीय स्थिति करीब से देखा है. कॉन्ट्रैक्टर और बिचौलियों द्वारा किए जा रहे शोषण के बारे में उनसे सुना है. इसके लिए हमने Border Roads Organization से MOU करने की बात कही. केंद्र सरकार से भी मजदूरों का पलायन व्यवस्थित करने पर बात रखी. पर सुनने में आ रहा है जिलों में एक बार फिर असुरक्षित पलायन का वही पुराना रास्ता अख्तियार कर लिया है.
सीएम ने कहा कि इंटर स्टेट माइग्रेशन से जुड़ी समस्याओं को लेबर कोड में नजरअंदाज किया गया है. मजदूर भाई-बहन हमारे देश की अथर्व्यवस्था का पहिया हैं. उन्हें सुरक्षित और संरक्षित किए बिना हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं. इसलिए माइग्रेशन पर सभी को मिल कर सोचना और मजदूर हित में काम करना होगा.
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