विधानसभा में विभाग ने दी जानकारी, पांच जिलों में की गई गड़बड़ी, आहार पोर्टल में हुआ छेड़छाड़
Amit Singh
Ranchi: झारखंड में 32 प्रकार की जनजातियां निवास करती हैं. इसमें 8 अनुसूचित जनजातियां हैं, जो अति कमजोर जनजाति (पीवीटीजी) की श्रेणी में आती हैं. इनकी स्थिति बहुत ही दनीय है. ये जनजातियां सुदूरवर्ती इलाकों में जंगलों और पहाड़ों पर निवास करती हैं. इन गरीबों के अनाज को भी आर्थिक रूप से संपन्न लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से लूटने का काम किया है. प्रदेश भर में 7773 ऐसे राशन कार्ड चिह्नित हुए हैं, जिनको पीवीटीजी श्रेणी में परिवर्तित कर राशन उठाया गया है. इसकी जांच सीआईडी कर रही है.
झारखंड विधान सभा में माले विधायक विनोद कुमार सिंह ने इस संबंध में सवाल पूछा था. जिसके जवाब में खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने बताया कि प्रदेश भर में पीवीटीजी श्रेणी में राशन कार्ड परिवर्तित कर राशन उठाया गया है. मामला विभाग के संज्ञान में है. इसकी जांच भी चल ही है. जिला आपूर्ति विभाग गिरिडीह के खिलाफ आरोप पत्र प्राप्त हुआ है, जिसकी समीक्षा के पश्चात कार्रवाई के लिए कार्मिक प्रशासनिक सुधार तभा राजभाषा विभाग को उपलब्ध कराया जाएगा.
राज्य में खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बाद पीवीटीजी को अनाज पैकेट घर तक मुफ्त पहुंचाया जाता है. प्रदेश के पांच जिले गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, गुमला, हजारीबाग और लोहरदगा में गरीबों का आहार लूटने का मामला अबतक सामने आया है. गिरिडीह में 2577, पूर्वी सिंहभूम में 1199, गुमला में 1938, हजारीबाग में 1014 और लोहरदगा में 1045 मामले अबतक पकड़ में आ चुके हैं.
सीआईडी जांच में पता चला है कि बिना किसी दस्तावेज के पीवीजीटी श्रेणी में 7773 राशनकार्ड पीवीटीजी में परिवर्तित कर दिए गए. इतना ही नहीं, गरीबों का अनाज लूटने के लिए आहार पोर्टल में भी छेड़छाड किया गया है. पोर्टल से लाभुकों में कई गैर पीवीटीजी को भी पीवीटीजी में डाल दिया गया है. मामला सामने आने के बाद सरकार ने साइबर अपराध के पहलु पर जांच करा रही है.