Jamshedpur : जमशेदपुर में बस स्टैंड की बंदोबस्ती से सरकार को लाखों रुपए राजस्व प्राप्त होती है. लेकिन टेम्पो स्टैंड की बंदोबस्ती नहीं होने से सरकार को सालाना करोड़ों रुपए के राजस्व की चपत लग रही है. टेम्पो स्टैंड के संचालक या लाइनटेकर प्रतिदिन टेम्पो स्टैंड से हजारों रुपए कमा रहे हैं. इस संबंध में बाल मजदूर मुक्ति सेवा संस्थान ने एक शिकायत नगर विकास विभाग के सचिव और पूर्वी सिंहभूम के डीसी सूरज कुमार से की है. शिकायत में कहा गया है कि जमशेदपुर में दोपहिया और चार पहिया वाहनों से पार्किंग शुल्क, बड़े बसों से परिचालन शुल्क और बस स्टैंड की बंदोबस्ती से राजस्व की वसूली होती है. लेकिन शहर में दर्जनों टेम्पो स्टैंड हैं. इनसे सरकार को एक रुपए भी राजस्व नहीं मिल रहा है. संस्थान के मुख्य संयोजक सदन कुमार ठाकुर ने बताया कि जो राजस्व सरकार को मिलना चाहिए, वह लाइनटेकर या दलाल खा रहे हैं. उन्होंने सरकार से टेम्पो स्टैंड की प्रतिवर्ष निविदा निकालने की मांग की. जानकारी हो कि जिले के तत्कालीन उपायुक्त अमिताभ कौशल ने टेम्पो स्टैंड की बंदोबस्ती की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन बाद में इस मामले का राजनीतिकरण होने के कारण वह ठंडे बस्ते में चला गया.
टेम्पो स्टैंड में सुविधा नहीं है, इसलिए बंदोबस्ती का कोई मतलब नहीं
शिक्षित बेरोजगार टेम्पो चालक-संचालक संघ के महासचिव श्याम किंकर झा ने बताया कि सरकार की ओर से शहर में कोई टेम्पो स्टैंड बनाकर नहीं दिया गया है. टाटा स्टील की ओर से साकची और बिष्टुपुर में सात स्टैंड बनाया गया है. वहां से टेम्पो का परिचालन होता है. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में अघोषित रूप से 40 से 45 स्टैंड हैं. लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है. ऐसे में बंदोबस्ती का कोई मतलब नहीं है.