Akshay/Sourabh
Ranchi: मैनहर्ट मामले की जांच एसीबी कर रही है. डीएसपी लेवल की जांच हो चुकी है. जांच रिपोर्ट एसीबी के प्रभारी डीजी के पास पड़ी है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत बड़े आईएएस अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है. अगर इन आरोपियों के पक्ष से एसीबी संतुष्ट नहीं होती है तो रघुवर समेत इन अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है.
जांच में जिन लोगों के खिलाफ साक्ष्य मिले हैं. उनके खिलाफ अब एफआईआर करने की तैयारी है. दरअसल एसीबी की कायदों की मानें तो आरोपियों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करने के लिए आरोपियों से ही उनका पक्ष पूछा जाता है. उनकी तरफ से पक्ष और पक्ष से जुड़े साक्ष्य की जांच करने के बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है. इसकी औपचारिक मंजूरी आरोपियों के नियुक्ति प्राधिकार से लेनी होती है.
मैनहर्ट के मामले में सभी आरोपियों के नियुक्ति प्राधिकार सरकार ही है. यानि सारा मामला सरकार तक आकर फिर रुक जाता है. जांच रिपोर्ट और आरोपियों का पक्ष आने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत के हाथ में होगा किसे आरोपी बनाया जाए और किसे नहीं. फिलहाल इस मामले को लेकर सभी आरोपियों को उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस भेजा गया है. किस आरोपी की तरफ से उनका पक्ष एसीबी को आया है, इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है.
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क्या है मैनहर्ट मामला
2006 में रघुवर दास, अर्जुन मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री थे. रांची शहर में सिवरेज और ड्रेनेज को लेकर काम होना था. विभाग ने इस काम के लिए ORG/SPAM Private Limited का चयन किया. कंपनी ने काम शुरू कर दिया. करीब 75 फीसदी डीपीआर बनने के बाद कंपनी से काम वापस ले लिया गया और काम मैनहर्ट कंपनी को दे दिया गया. आरोप है कि मैनहर्ट को काम देने के लिए विभाग ने शर्तों का उल्लंघन किया. शर्त थी कि उसी कंपनी को काम मिलेगा, जिसका टर्नओवर 300 करोड़ है और जिसे सिवरेज-ड्रेनेज दोनों काम में तीन साल काम करने का अनुभव हो. मैनहर्ट शर्तों को पूरा नहीं करता था. बावजूद इसके विभाग ने इस कंपनी को काम दे दिया. मामला विधानसभा में उठा. विधानसभा ने जांच के लिये एक कमेटी बनायी, जिसमें सरयू राय, प्रदीप यादव और सुखदेव भगत सदस्य थे. समिति ने रिपोर्ट सौंपी की मैनहर्ट को काम देने में गड़बड़ी हुई है. साथ ही एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच करने की सिफारिश की, लेकिन जांच नहीं हुई.
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एक अक्टूबर 2020 को हेमंत ने जांच का दिया था आदेश
हेमंत सोरेन ने 1 अक्तूबर को मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से करने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह आदेश भाजपा के पूर्व कद्दावर नेता व वर्तमान में निर्दलीय विधायक सरयू राय की मांग पर दिया था. सरयू राय ने कहा था कि मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में अनियमितता, भ्रष्टाचार व षड्यंत्र हुआ है. ऐसे में उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज कर सरकार जांच करें.