Nishikant Thakur
मणिपुर में 4 मई को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लोग भूल नहीं पा रहे हैं, क्योंकि उस प्रकरण का अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है. वैसे, केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच कराने की मांग स्वीकार कर ली है और सीबीआई ने टीम के साथ काम करना भी शुरू कर दिया है जिसके तहत कुछ गिरफ्तारियां भी हुई हैं. इसके साथ विपक्षी दल ‘इंडिया’ के 21 सांसदों का दौरा भी हो चुका है कि आखिर शर्मसार करने वाली इतनी बड़ी घटना घटी क्यों? ‘इंडिया’ के सांसदों की रिपोर्ट तो अभी सार्वजनिक नहीं हुई है कि पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाए, लेकिन जो घटना घटी, वह मदांध लोगों द्वारा तथाकथित बदले के लिए की गई कार्यवाही का एक उदाहरण भर है, क्योंकि यहां के जो हालात हो गए हैं, उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती है. चारों तरफ जंगल और बीच-बीच में छोटे-छोटे घरों में पनाह लेते हुए लोग दिख जाएंगे, जो अपनी जान बचाकर भाग आए हैं और किसी सरकारी सहायता की उम्मीद में अपना समय काट रहे हैं. कुल मिलाकर लगता यही है कि केंद्र सरकार की मुसीबतें कम होती बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही हैं, क्योंकि पिछले सप्ताह ने सरकार से जो कुछ सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह सच ही कहा . दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि 4 मई की घटना की 18 मई को प्राथमिकी दर्ज कराई गई. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आखिर एफआईआर दर्ज करने में इतना समय क्यों लगा? मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है संवैधानिक मशीनरी का पूरी तरह ब्रेक डाउन हो चुका है. वहां कोई कानून-व्यवस्था नहीं बची है. जांच भी बेहद सुस्त गति से चल रही है. इतने लंबे समय के बाद एफआईआर दर्ज की जाती है, गिरफ्तारी नहीं होती. बयान दर्ज नहीं किए जाते.
इस पर सॉलिसीटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि अब वहां हालात सुधर रहे हैं. सीबीआई को जांच करने दें. अदालत इसकी मॉनिटरिंग करे. केंद्र की ओर से कोई सुस्ती नहीं है. इस मामले की सुनवाई के दौरान 7 अगस्त तीन सदस्यीय जजों की टीम मणिपुर के तमाम मामलों की जांच की देखरेख करेगी. इससे पहले सीजेआई ने जब कानून-व्यवस्था आमजन की सुरक्षा नहीं कर पा रही, तो कैसी व्यवस्था है? आपकी रिपोर्ट और मशीनरी काफी आलसी और सुस्त है. स्थानीय पुलिस जांच कर रही है? सीजेआई ने कहा कि वायरल वीडियो मामले में महिला का कहना है कि पुलिस ने ही उसे भीड़ के हवाले किया. क्या पुलिस के खिलाफ कुछ हुआ. एसजी ने कहा, सीबीआई आज ही वहां गई है. अभी इतनी जानकारी नहीं मिल पाई है. सीबीआई को मामला सौंपने की मांग पर कोर्ट ने कहा कि एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पा रही थी. अगर 6000 में से 50 एफआईआर सीबीआई को सौंप भी दिए जाएं, तो बाकी 5950 का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बिलकुल स्पष्ट है कि वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में काफी देर हुई. ऐसा लगता है कि पुलिस ने महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो सामने आने के बाद उनका बयान दर्ज किया. सीजेआई ने कहा कि बाकी 5950 एफआईआर का क्या होगा? उनकी जांच कौन करेगा? सीजेआई ने पूछा, 6523 एफआईआर में कितने गिरफ्तार हुए हैं? एसजी ने बताया, सात. कोर्ट ने कहा, 6523 एफआईआर में सिर्फ सात गिरफ्तारी?
एसजी ने बताया, नहीं यह सिर्फ 11 एफआईआर से संबंधित हैं, बाकी इन एफआईआर में 252 गिरफ्तार हैं. 12 हजार से ज्यादा लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इनमें से कितने 6500 में गंभीर अपराध में शामिल हैं- शारीरिक क्षति, संपत्ति तोड़फोड़, धार्मिक स्थल, घर, हत्याएं, बलात्कार. उनकी जांच को फास्ट ट्रैक तरीकों से करना होगा. इस तरह आप लोगों में विश्वास पैदा कर सकते हैं. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि सरकार अलग-अलग सारणी या सूची से बताए कि कितनी एफआईआर रेप और हत्या, हत्या, लूट, डकैती, आगजनी, जान-माल के नुकसान से संबंधित हैं. हमें यह भी जानना होगा कि कितनी एफआईआर में विशिष्ट नाम लिए गए हैं और अगर एफआईआर में नाम हैं, तो उनकी गिरफ्तारी के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
सीजेआई ने कहा कि हमें सीबीआई से जानना होगा कि सीबीआई के बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है. क्या वह यह जांच कर सकती है. तुषार मेहता ने कहा कि 11 एफआईआर की जांच सीबीआई को करने दें. कोर्ट ने कहा, स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार 3 से 5 मई के बीच 150 मौतें हुईं, 27-29 मई के बीच 59 मौतें हुईं. कोर्ट ने कहा, इस स्तर पर, इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत सामग्री इस अर्थ में अपर्याप्त है कि 6523 एफआईआर का उन अपराधों की प्रकृति में कोई वर्गीकरण नहीं है, जिनसे वे संबंधित हैं. राज्य सरकार को वर्गीकरण का अभ्यास करना चाहिए. अदालत को सूचित करना चाहिए कि कितनी एफआईआर किस केस से संबंधित हैं. आरंभिक आंकड़ों के आधार पर, प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में देर हुई है. घटना और एफआईआर दर्ज होने के बीच काफी चूक हुई है. गवाहों के बयान दर्ज नहीं किए गए हैं और गिरफ्तारियां बहुत कम हुई हैं. सीजेआई ने यह भी कहा कि हम हाईकोर्ट जजों की कमेटी पर भी विचार कर रहे हैं. हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लें. वर्तमान सप्ताह सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के प्रति बड़ा ही कठिन होने जा रहा है. ऐसा इसलिए, क्योंकि कई मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, लेकिन यदि फैसला सरकार के विरुद्ध आ गया, तो इससे भी बहुत किरकिरी हो.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.