Varanasi : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे की दूसरी रिपोर्ट गुरुवार को कोर्ट में जमा करा दी गई है. विशेष अधिवक्ता कमिश्नर विशाल सिंह द्वारा प्रस्तुत इस दूसरी रिपोर्ट में कई बड़े-बड़े खुलासे हुए हैं. सूत्रों के हवाले से खबर के मुताबिक सर्वे की दूसरी रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मस्जिद में सनातन धर्म से जुड़े कई चिह्न हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद के अंदर कमल, त्रिशूल और डमरू के प्रतीक चिह्न मिले हैं. इसके अलावा वजूकुंड में मिले कथित शिवलिंग का जिक्र भी रिपोर्ट में किया गया है. रिपोर्ट में हिंदू आस्था से जुड़े कई निशान और साक्ष्य मिलने की बात कही गई है.
पान के पत्ते के आकार की 6 आकृतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक तहखाने में दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की 6 आकृतियां बनी थीं. तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था. तहखाने में 4-4 खम्भे मिले, जिनकी ऊंचाई 8-8 फीट थी. नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे. बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे. एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी. लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था, जो मिट्टी से सना हुआ था.
स्वास्तिक और त्रिशूल की कलाकृतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं. इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं. ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं.
कमल के फूल और हाथी के सूंड जैसी आकृति
मस्जिद के दक्षिणी और तीसरे गुंबद में फूल, पत्ती और कमल के फूल की आकृति मिली है. तीनों बाहरी गुंबद के नीचे पाई गई तीन शंकुकार शिखरनुमा आकृतियों को वादी पक्ष द्वारा प्राचीन मंदिर की ऊपर के शिखर बताए गए जिसे प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता द्वारा गलत कहा गया. मुस्लिम पक्ष की सहमति से मस्जिद के अंदर मुआयना किया गया तो वहां दीवार पर स्विच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी हुई पाई गई और बगल में स्वास्तिक की आकृति आलमारी, जिसे मुस्लिम पक्ष द्वारा ताखा कहा गया, में खुदी हुई पाई गई. मस्जिद के अंदर पश्चिमी दीवार में वैसी ही और हाथी के सूंडनुमा आकृति का भी चिह्न है.
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किताब में दिखाए गये नक्शे से मिलान
वादी के अधिकवक्ता हरिशंकर जैनन और विष्णु शंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी की ओर से ध्यान आकृष्ट किया गया कि History of Banaras by Prof. AS Altekar के द्वारा लिखी गई है और View of Banaras book by james principle द्वारा किताबें लिखी गई है, उसमें छपे पुराने विश्वेश्वर मंदिर के ग्राउंड प्लान से पूरी तरह मिलता हुआ नक्शा जो उपरोक्त दोनों किताबों में दर्शाया गया है, वहीं मुख्य गुंबद के नीचे है जहां नमाज अता होती है. इस नक्शे की फोटोकॉपी उनके द्वारा मौके पर दी गई. उनके द्वारा इंगित किया गया है कि मुख्य गुंबद के नीचे चारों दिशाओं में दीवारों पर जिग-जैग कट बने हुए हैं जो उतनी ही संख्या में है व शेप में है, जैसा किताब के नक्शे में है. इसी तरह से दो दिशा उत्तर-दक्षिण के गुंबदों के नीचे नमाज अदा करने के स्थल की दीवारों के जिग-जैग कटकी शेप और संख्या उस नक्शे से मिलती है और इन्हीं में कुछ मूल मंडप भी स्थित है. मस्जिद के मध्य नमाज हॉल और उत्तर-दक्षिण के हॉल के मध्य जो दरवाजानुमा आर्क बना है, उसकी इन्हीं जिग-जैग दीवारों पर खंभों पर ऊपर टिकी हुई है. इसका विरोध प्रतिवादी संख्या 4 ने किया और सब बातों को काल्पनिक बताया. फोटोकॉपी नक्शे से दीवारों की शेप का मिलान करने पर पाया गया कि इन दोनों में पूरी समानता है.
फव्वारा में कोई छेद नहीं मिला
मुस्लिम पक्ष जिस पथरनुमा काली आकृति को फव्वारा बता रहा है, उसमें कोई छेद नहीं मिला है. न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह मिली है. हिंदू पक्ष के वकीलों द्वारा फव्वारा चलाकर दिखाने की बात कही गई. मगर मुस्लिम पक्ष ऐसा करने में असमर्थ रहा. गोल-गोल जवाब देकर कभी 20 साल से बंद तो कभी 12 साल से बंद बता रहा था. मस्जिद में मुख्य गुंबद के ऊपर दक्षिणी खम्भे पर स्वास्तिक का चिन्ह मिला है.
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