NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने सभी न्यायिक अधिकारियों (Judicial officers) को एक्स श्रेणी की सुरक्षा (X class security) मुहैया कराने की मांग वाली याचिका पर आज 17 अगस्त को सुनवाई की. सुनवाई के क्रम में जजों और ज्यूडिशियल ऑफिसर्स की सुरक्षा को लेकर SC में हलफनामा दायर नहीं करने वाले राज्यों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश , मिज़ोरम, झारखंड, तेलंगाना, मणिपुर गोवा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्रा की राज्य सरकारों ने निर्देश दिये जाने के बाद भी अपना जवाब अब तक दाखिल नहीं किया है.
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तो चीफ सेक्रटरी को पेश होने के लिए कहा जायेगा
सुप्रीम कोर्ट ने चेताया कि अगर राज्यो ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया, तो चीफ सेक्रटरी को पेश होने के लिए कहा जायेगा. बता दें कि वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर SC ने सुनवाई की. याचिका में केंद्र सहित सभी राज्य सरकारों को इस संबंध में निर्देश देने का आग्रह किया गया था. विशाल तिवारी ने अपने याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि वह सभी जजों, ज्यूडिशियल ऑफिसर्स और वकीलों को सुरक्षा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को जरूरी दिशानिर्देश लागू करने का निर्देश दे. क्योंकि देश भर में जजों और वकीलों को धमकियां मिल रही हैं. ज्यूडिशियल ऑफिसर्स पर हमले बढ़े हैं.
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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सुरक्षा का मामला राज्य का विषय है
सुनवाई के क्रम में सरकार और सीबीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि सुरक्षा का मामला राज्य का विषय है. लेकिन केंद्र सरकार इस मामले में राज्यों का पूरा सहयोग करती है. एसजी मेहता ने कहा कि जजों की सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश हैं. जिनके तहत राज्यों को ज्यूडिशियल अधिकारियों की सुरक्षा की व्यवस्था करनी होती है.
इस पर सीजेआई ने कहा कि सवाल यह है कि अभी तक राज्यों ने क्या कदम उठाये हैं. तुषार मेहता ने कहा कि अदालत चाहे तो इस मामले में निर्देश दे सकती है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ये राज्य का मामला है. कहा कि अलग-अलग राज्यों की परिस्थितियां विभिन्न हो सकती है. हिमाचल में परिस्थितियां अलग हो सकती है, झारखंड में अलग, छत्तीसगढ़ में नक्सल की समस्या इसलिए वहां की स्थिति अन्य से अलग हो सकती है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा सुरक्षा राज्यों की स्थिति के हिसाब से होनी चाहिए.
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राज्यों के सुस्त रवैये पर सुप्रीम कोर्ट के तेवर तल्ख
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के सुस्त रवैये पर सख्त होते हुए कहा कि सवाल यह है कि गाइडलाइन तो है, लेकिन जजों और न्यायालयों की सुरक्षा के लिए इसे कितना लागू किया गया. कहा कि केंद्र सरकार DGP को निर्देश देकर सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती है. हालांकि राज्यों का कहना है कि उनके पास फिलहाल सुरक्षा मुहैया करवाने के लिए फंड नहीं है.