Ranchi : कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एवं समन्वय समिति के सदस्य बंधु तिर्की ने कहा है कि चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लांचिंग पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है, लेकिन झारखंड के परिप्रेक्ष्य में हमारी खुशियां बहुत ही खास है. चंद्रयान-3 को जिस एसएलपी-सेकेंड लॉन्चिंग पैड से अंतरिक्ष में सफलता के साथ भेजा गया है, उसका डिजाइन मेकॉन और निर्माण एचईसी ने किया है. इन्होंने अपनी सार्थकता और उपयोगिता साबित कर दी है. मगर ये दोनों ही उपेक्षित हैं.
कंपनियों ने अपनी कर्मठता से साबित की
तिर्की ने कहा कि झारखंड के सवा तीन करोड़ लोगों के साथ ही झारखंड में अवस्थित सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के सभी उपक्रमों, उसके अधिकारियों, कर्मचारियों, श्रमिकों, अभियंताओं के लिए भी यह बेहद खुशी का क्षण है, क्योंकि यह हमारे झारखंड की कर्मठता को साबित करता है. न केवल रांची एवं झारखंड के सार्वजनिक बल्कि निजी क्षेत्र के उद्योगों-उपक्रमों ने अनेक बार अपने कार्यों, गतिविधियों व उपलब्धियों से यह बताया है कि अनुसंधान एवं कर्मठता के साथ वे देश के खाते में अनेक उपलब्धियां जोड़ सकते हैं. पर सही नीति, भरोसा और संसाधन बहुत जरूरी है.
लोक उपक्रमों के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही केंद्र सरकार
तिर्की ने कहा कि वर्तमान समय के भाजपा शासन काल में यह और भी निराशा की बात है कि केंद्र न केवल रांची या झारखंड बल्कि देश भर में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों-उपक्रमों के साथ उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है. इसका खामियाजा झारखंड के औद्योगिक क्षेत्र को भुगतना पड़ रहा है. केंद्र सरकार की उपेक्षित, राष्ट्र विरोधी और अदूरदर्शिता नीति के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को अनेक स्तर पर परेशानियों एवं चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों के झारखंड के उद्योगों और उससे जुड़े अधिकारियों, अभियंताओं, कर्मचारियों, श्रमिकों के अलावा आम आम लोगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान समय में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी क्षेत्र से तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और केंद्र सरकार की सकारात्मक एवं अनुकूल औद्योगिक नीति नहीं होने के कारण कुल मिलाकर देश में आर्थिक एवं औद्योगिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. पर इस स्थिति में भी वही एचईसी देश का गर्व, सम्मान और अभिमान बढ़ा रहा है, जिसके पास अपने अधिकारियों, कर्मचारियों और श्रमिकों को वेतन देने तक की राशि का अभाव है.
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