LagatarDesk: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया. कोरोना महामारी के बाद यह पहला बजट था. ऐसे में बजट से मिडिल क्लास और छोटे उद्योगपतियों को बजट से बहुत सारी उम्मीदें थी. बजट जब पेश किया जा रहा था, तो लोग एकटक लगाये बैठे थे. वित्त मंत्री का भाषण खत्म हो गया, लेकिन इनके लिए कोई घोषणा ही नहीं की गयी. सरकार ने न तो टैक्स में कोई छूट दी और न ही जीएसटी में. करदाता पहले भी कर्ज तले दबकर मर रहा था और आगे भी मरेगा.
बजट में रोजगार के लिए कुछ भी नहीं
कोरोना के कारण कितने ही लोग बेरोजगार हो गये. हजारों प्रवासी मजदूर कोरोना महामारी के डर से घर लौट गये. इस बजट में सरकार को रोजगार के लिए सबसे ज्यादा खर्च करने की जरूरत थी. लेकिन लोगों को ऐसा कुछ दिखा नहीं.
घरेलू सामान की कीमतों में वृद्धि
कोरोना महामारी के बाद ऐसे ही लोग महंगाई से परेशान थे. ऊपर से सरकार ने टीवी, फ्रिज से लेकर अन्य चीजों का दाम बढ़ा दिया. कोरोना काल में वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन क्लासेज की वजह से मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ा है. सरकार डिजिटल इंडिया की बात कर रही थी. लोगों का कहना है कि डिजिटल इंडिया बनाने के लिए सरकार को तो मोबाइल, चार्जर और अन्य चीजों पर राहत देनी चाहिए थी, लेकिन उलटे इनके दाम बढ़ा दिये गये.
आम जनता पर बोझ डालनेवाला है बजट
बजट में पेट्रोल-डीजल और अन्य चीजों पर सेस लगाने का सीधा असर आम जनता पर ही पड़ेगा. मोदी सरकार 2014 से बस यही कर रही है. कॉरपोरेट को रियायत दे रही और आम जनता को बोझ तले दबा रही है.
मजदूर वर्ग के लिए भी बजट में कुछ नहीं
सरकार से मजदूर वर्ग को भी कितनी सारी उम्मीदें थी लेकिन सरकार ने तो सोच ही लिया है कि मिडिल क्लास पर बोझ बढ़ाना है और कॉरपोरेट को रिलीफ देना है. बजट में इनके लिए कोई घोषणा ही नहीं की गयी.
अन्नदाता की बात और कृषि में 4 फीसदी कमी
एक तरफ सरकार अन्नदाता की बात करती है, लेकिन सरकार ने कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के उपायों के बदले 4 फीसदी खर्चा और कम कर दिया.
ICDS पर खर्च बढ़ाने के बजाय घटा दिया
सरकार ने ICDS पर भी खर्चा पिछले साल की तुलना में कम कर दिया. ICDS के अंतर्गत 0 से 6 साल के बच्चे के लिए Nutrition प्रोग्राम है. ऊपर से ICDS और आंगनबाड़ी को सरकार ने एक में ही जोड़ दिया. जहां इस पर 2020-21 में 24232 लाख करोड़ रुपये खर्च किया गया था, वहीं 2021-22 में सिर्फ 20105 लाख करोड़ ही बजट में रखा गया है.
गरीबों के तन से कपड़ा छीनने की तैयारी
पहले रोजगार और जमीन छिनी, अब पूरे समाज का ही कपड़ा छीनने की तैयारी में है मोदी सरकार. कपास पर 10 प्रतिशत का टैक्स थोप दिया.
एयरपोर्ट, सड़क, एलआईसी और बिजली से लेकर सब कुछ बेच डालेगी सरकार
सरकार ने एयरपोर्ट, सड़क, बिजली ट्रांसमिशन लाइन और वेयरहाउस बेच रही है. मोदी सरकार ने चुनिंदा कारोबारों को छोड़ किसी को किसी तरह की कोई रियायत नहीं दी है. एलआईसी को भी बेचने के लिए तैयार है सरकार. मिडिल क्लास ने जो एलआईसी पर भरोसा करके पैसा लगाया है, क्या सरकार उसकी जिम्मेदारी लेगी.
कॉरपोरेट को बेच भारत को बरबाद करने के रास्ते पर
बजट आम जनता के लिए नहीं है बस कॉरपोरेट के लिए है. और केवल वैसी ही जगह पर खर्च बढ़ा रही है जहां आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं. चुनाव आनेवाले दिनों में तमिलनाडु, असम और बंगाल में होनेवाले हैं. और सरकार सिर्फ इसी पर फोकस कर रही है.